जानें कौन थी भारत की पहली महिला Chartered Accountant, जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गई थीं जेल
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जानें कौन थी भारत की पहली महिला Chartered Accountant, जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गई थीं जेल

First Female CA of India: आर शिवभोगम ने जेल में सजा काटते हुए चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने का सपना देखा था, जिसे पूरा करने में उनकी बड़ी बहन ने उनकी काफी मदद की थी और इसी की बदौलत वह देश की पहली महिला चार्टर्ड अकाउंटेंट बन सकीं.

जानें कौन थी भारत की पहली महिला Chartered Accountant, जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गई थीं जेल

First Female CA of India: देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी, आईएएस अधिकारी और प्रधानमंत्री के बारे में तो हर कोई जानता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि भारत की पहली महिला चार्टर्ड अकाउंटेंट (Chartered Accountant) कौन थीं. जब देश उपनिवेशवाद (Colonialism) से आजादी की लड़ाई लड़ रहा था और महिलाओं के लिए पढ़ाई के कम अवसर थे, तब भारत में एक महिला चार्टर्ड अकाउंटेंट बनीं, जिनका नाम था आर शिवभोगम (R Sivabhogam). आर शिवभोगम भारत की पहली महिला चार्टर्ड अकाउंटेंट थी. हालांकि, बता दें कि उस समय अकाउंटेंसी को पुरुष प्रधान क्षेत्र माना जाता था.

जेल में रहते हुए देखा अकाउंटेंट बनने का सपना 
23 जुलाई, 1907 को जन्मी आर शिवभोगम ने अपनी स्कूली शिक्षा लेडी वेलिंगटन स्कूल, चेन्नई से पूरी की. इसके बाद उन्होंने चेन्नई के क्वीन मैरी कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद, महात्मा गांधी की अपील से प्रभावित होकर, वह सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हो गईं. आंदोलन में शामिल होने के कारण उन्हें एक वर्ष की जेल हुई. जेल की सजा ने आर शिवभोगम को जीवन का एक अलग उद्देश्य दिया. जेल में रहते हुए उन्होंने अकाउंटेंट बनने का सपना देखा. इस सपने को साकार करने में उनकी बड़ी बहन ने काफी मदद की.

अकाउंटेंसी में किया डिप्लोमा 
जेल से रिहा होने के बाद, आर शिवभोगम ने अकाउंटेंसी में डिप्लोमा कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन कराया. उन्होंने साल 1933 में देश की पहली महिला चार्टर्ड अकाउंटेंट बनकर इतिहास रचा. इसके बाद सीएस शास्त्री के तहत सीए आर्टिकलशिप की ट्रेनिंग की.

स्वतंत्र प्रैक्टिस करने के लिए लड़ी कानूनी लड़ाई
सीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद आर शिवभोगम स्वतंत्र प्रैक्टिस करना चाहती थीं. हालांकि, ब्रिटिश राज के दौरान उन लोगों के अकाउंटेंट के रूप में प्रैक्टिस करने पर प्रतिबंध था, जो किसी कारण से जेल में बंद थे. इसके बाद आर शिवभोगम ने इस कानून के खिलाफ याचिका दायर की और फैसला उनके पक्ष में हुआ. अंततः, उन्होंने साल 1937 में एक स्वतंत्र एकाउंटेंट के रूप में अभ्यास शुरू किया. वहीं, जब 1950 में ICAI की स्थापना हुई, तो वह 1950 में इसकी सदस्य और फेलो बन गईं.

ये है क्वीन मैरी कॉलेज की खासियत
बता दें कि आर शिवभोगम जिस क्वीन मैरी कॉलेज, चेन्नई से पढ़ी थीं, उसकी स्थापना वर्ष 1914 में हुई थी. यह शहर का पहला महिला कॉलेज था. यह देश का तीसरा सबसे पुराना महिला कॉलेज भी है. जब यह कॉलेज शुरू हुआ था, तो इसमें केवल 33 छात्राएं पढ़ती थीं. हालांकि, अब इसमें 5,000 से ज्यादा छात्राएं पढ़ती हैं. एनआईआरएफ रैंकिंग 2022 में क्वीन मैरी कॉलेज 47वें स्थान पर रहा था.

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