NEET Success Story: दिहाड़ी मजदूर ने बिना कोचिंग के क्रैक किया मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम, जानें क्या थी उनकी स्ट्रेटेजी
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NEET Success Story: दिहाड़ी मजदूर ने बिना कोचिंग के क्रैक किया मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम, जानें क्या थी उनकी स्ट्रेटेजी

NEET Success Story: उमर घरों में पेंट करने का काम किया करते थे, ताकि वह परीक्षा की तैयारी के लिए जरूरी स्टडी मेटिरियल खरीद सके और अपनी पढ़ाई अच्छे से कर सकें.

NEET Success Story: दिहाड़ी मजदूर ने बिना कोचिंग के क्रैक किया मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम, जानें क्या थी उनकी स्ट्रेटेजी

NEET Success Story: कश्मीर के पुलवामा जिले के एक छोटे से स्थान जगीगाम के मूल निवासी 19 वर्षीय उमर अहमद गनी ने भारत में सबसे कठिन मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में से एक नीट यूजी 2023 (NEET UG 2023) की परीक्षा को पास करके एक दुर्लभ उपलब्धि हासिल की है. उमर की उपलब्धि, जो उन्होंने 720 में से 601 अंक के साथ हासिल की है, वो उनके समर्पण और कड़ी मेहनत को दर्शाती है. उनकी यह उपलब्धि सच में काफी बड़ी है, क्योंकि वह एक आर्थिक रूप से बेहद ही तनावपूर्ण घर से आते हैं. बता दें कि उमेर के पिता एक मजदूर के रूप में काम करते हैं, जबकि उनकी मां परिवार की जरूरतों का ख्याल रखती हैं.

उमर हर दिन शाम 4 बजे से रात 12 बजे तक और फिर सुबह 3 बजे से सुबह 8 बजे तक पढ़ाई करते थे. लेकिन उन्होंने बाकी समय में पढ़ाई नहीं की क्योंकि यह उनकी जीवनशैली के अनुकूल था. इसके अलावा उन्होंने ऐसा इसलिए भी किया क्योंकि उन्हें स्कूल जाना पड़ता था और दिन में मजदूर के रूप में काम करना पड़ता था.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उमर ने बताया "मैं ऐसे परिवार से आता हूं, जो आर्थिक रूप से मजबूत नहीं है. स्कूल जाने के दौरान मुझे दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करना पड़ाता था. जब मैं कक्षा 9 में था तब मेरे पिता की उम्र 50 वर्ष से अधिक थी, इसलिए मुझे यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी कि मेरे परिवार को आर्थिक रूप से सहायता मिले. मैं 10वीं कक्षा में था जब मैंने अपने जिले के एक लड़के के NEET पास करने और डॉक्टर बनने की खबर सुनी थी. इसने मुझे एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए काफी प्रेरित किया और इसलिए मैंने 11वीं कक्षा में साइंस स्ट्रीम को चुना."

19 वर्षीय उमर ने कहा कि जब वह 10वीं कक्षा में थे, तब उन्हें यह जानकर नीट परीक्षा पास करने की प्रेरणा मिली कि पुलवामा जिले का एक लड़का प्रवेश परीक्षा पास कर डॉक्टर बन गया है. "उनकी कहानी ने मुझे NEET की तैयारी करने के लिए प्रेरित किया, और मैंने 11वीं कक्षा में साइंस स्ट्रीम चुनने का फैसला किया."

उमर के परिवार के लिए उसे नीट की कोचिंग करवाने का सवाल ही नहीं उठता था. क्योंकि वे दो वक्त की रोटी के लिए भी संघर्ष कर रहे थे. हालांकि, उमर ने चिंता नहीं की और सेल्फ स्टडी पर ध्यान केंद्रित किया और NCERT की मदद से अपनी पढ़ाई जारी रखी. इसके अलावा वह घरों में पेंट करने का काम किया करते थे, ताकि वह परीक्षा की तैयारी के लिए जरूरी स्टडी मेटिरियल खरीद सके और साथ ही अपने परीवार की आर्थिक रूप मदद कर सके.

हालांकि, COVID के दौरान उमर की पढ़ाई थोड़ी मुश्किल हो गई, लेकिन उन्होंने कहा, "कोविड ने मुझे डराया या रोका नहीं. मैंने अपने पड़ोस और दुनिया भर में चिकित्सा पेशेवरों द्वारा किए जा रहे प्रयासों को देखा और मुझे NEET परीक्षा पास करने और लोगों की मदद करने के लिए व डॉक्टर बनने के लिए प्रेरित किया."

जिस महामारी को कई लोगों ने चुनौतीपूर्ण पाया, वह उमर के लिए उनके लक्ष्य को साकार करने का एक शानदार अवसर बन गई. उन्होंने आगे कहा, ऐसे कई मौके आए जब जिले में इंटरनेट बंद हो गया या लॉकडाउन हो गया, लेकिन चूंकि मैं NCERT के जरिए तैयारी कर रहा था, इसलिए मेरी स्ट्रेटेजी पर कोई असर नहीं पड़ा.

जब उमर से आर्थिक रूप से कमजोर बैग्राउंड से आने वाले उम्मीदवारों के लिए सलाह मांगी गई, तो उन्होंने कहा कि उन्हें चिंता नहीं करनी चाहिए और कड़ी मेहनत पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए सफलता की कुंजी है.

MBBS की डिग्री प्राप्त करने के बाद उनकी भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर, उमर ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के किसी भी सरकारी मेडिकल स्कूल में दाखिला लेने की उम्मीद करते हैं और इस बात पर जोर देते हैं कि वह केवल अपने मूल कश्मीर में अभ्यास करना चाहते हैं.

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