Fake Medicines: BP, शुगर और... हर चीज की नकली दवा, गाजियाबाद में चल रही थी फैक्ट्री; कैसे करें बचाव?
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Fake Medicines: BP, शुगर और... हर चीज की नकली दवा, गाजियाबाद में चल रही थी फैक्ट्री; कैसे करें बचाव?

Ghaziabad News: क्या आप भी शुगर या बीपी के मरीज हैं? तो आपको ये खबर ध्यान से पढ़नी चाहिए. सोचिए जो दवा खा रहे हैं वो नकली हो तो? गाजियाबाद और शामली में नकली दवाओं की फैक्ट्री पकड़ी गई है. जहां से 1 करोड़ रुपए कीमत की नकली दवाइयां बरामद हुई हैं. सबसे पहले बताते हैं उन दवाओं के नाम.

Fake Medicines: BP, शुगर और... हर चीज की नकली दवा, गाजियाबाद में चल रही थी फैक्ट्री; कैसे करें बचाव?

Fake medicines news: दिल्ली से सटे गाजियाबाद में नकली दवाइयां बनाने वाली दो फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ हुआ है. इन फैक्ट्रियों से ब्लड प्रेशर और शुगर की 1 करोड़ रुपये से ज़्यादा की नकली दवाएं बरामद की गई हैं. इनके सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं. देश में सुगर और बीपी की दवाओं की बात करें तो भारत में हाई BP के 22 करोड़ और 10 करोड़ शुगर के मरीज है. गाजियाबाद पुलिस और क्राइम ब्रांच ने ज्वाइंट ऑपरेशन में 1 करोड़ 10 लाख की नकली दवाओं का पर्दाफाश किया. क्राइम ब्रांच और पुलिस की टीम जब वहां छापेमारी के लिए पहुंची तो दिखा कि एक हॉल में नकली दवाओं की फैक्ट्री चल रही थी.

बीपी, सुगर, गैस और दर्द की नकली दवाएं बरामद

कमरे के एक हिस्से में दवाओं से भरे बड़े बड़े डब्बे रखे हुए थे. जिनमें ज़्यादातर केमिकल डायबिटीज़ और बीपी की दवाओं में इस्तेमाल होने वाले थे. मामले में पुलिस ने दीपक चौहान नाम के आरोपी को गिरफ्तार किया है जो इस फैक्ट्री को चलाता था. गाजियाबाद की जिस फैक्ट्री में नकली दवाएं बनाई जा रही थीं. वहां कई बड़ी दवा कंपनियों के रैपर भी बरामद हुए, यही नहीं, पुलिस टीम ने इस सिलसिले में डिफेंस कॉलोनी में भी रेड की जहां गाज़ियाबाद की नकली दवा फैक्ट्री का गोदाम मिला. साथ ही कैप्सूल बनाने वाली मशीन भी मिलीं. 

कैसे तैयार होती थी दवाएं?

पुलिस ने बताया कि पहले नकली दवाएं बनाई जातीं और फेमस दवा कंपनियों के नाम से उनकी पैकेजिंग कर बाजार में बेचा जाता था. पुलिस के मुताबिक दवा बनाने के लिए कच्चा माल तेलंगाना से आता था. जबकि प्रिंटेड एल्युमिनियम फॉइल रुड़की से लाई जा रही थी.

जो नकली दवाइयां वहां बनाई जा रही थीं उनमें नकली दवाएं बनाने के लिए आरोपी ने एक हॉल किराए पर लिया जिसे दो हिस्सों में बांटा हुआ था, आगे वाले हिस्से में एलईडी बल्ब बनाने का काम किया जाता था ताकि किसी को पहले पहल शक न हो कि अंदर क्या चल रहा है.

कहीं आप तो नहीं खाते ये दवाएं?

डायबिटीज़ की Gluconorm G1, G2. बीपी की Telma H, Telma M और गैस की Pantocid Dsr, OMAZE DSR  और दर्द की Mobizox जैसी दवाएं शामिल हैं. 

असली-नकली का अंतर कैसे पहचानें?

- पैकेजिंग की क्वालिटी से भी नकली दवा का पता लगा सकते हैं.
- दवाइयों की बनावट और रंग में फर्क होता है.
- अब दवा कंपनियों को दवा के पैकेट पर यूनिक कोड प्रिंट करना अनिवार्य कर दिया है.
- ये यूनिक कोड QR कोड या बार कोड के रुप में हो सकता है.
- QR कोड को स्कैन करने पर दवा और कंपनी की सारी जानकारी मिल जाएगी .
- बगैर बिल के दवाइयां न खरीदें, क्योंकि बिल होगा तो उस पर बैच नंबर लिखा होता है और आपके पास सबूत रहेगा कि आपने दुकानदार से दवाई खरीदी है.

जान का खतरा

छापेमारी के दौरान बीपी और शुगर की नकली दवाइयां मिली हैं, जो मरीज़ के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती हैं.
- क्योंकि नकली दवाएं बीमारी पर कोई असर नहीं करती हैं.
- लिहाज़ा ये मरीज़ के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं और इनको खाने से मरीज़ की हालत और बिगड़ सकती है.
- नकली दवाएं सबसे पहले और सबसे ज़्यादा लीवर और किडनी को नुकसान पहुंचाती हैं.
- नकली दवाओं में कई बार चूना और सेल्यूलोज़ ज़्यादा होता है जिससे पेट में अल्सर हो सकता है.
- इन्हें बनाने में इस्तेमाल होने वाले केमिकल से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है.
- इन दवाइयों को देखकर ये पहचान पाना बेहद मुश्किल है कि ये असली है या नकली.

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