Kapoor Family: बॉलीवुड के प्रथम परिवार कहे जाने वाले कपूर खान की पुश्तैनी पहचान पाकिस्तान के पेशावर में है. कपूर खानदान की इस पैतृक हवेली को पाकिस्तान की सरकार राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर चुकी है, परंतु इस पर कुछ लोगों का दावा है. वह इसे गिरा कर इसकी जगह कमर्शियल कैंपस खड़ा करना चाहते हैं.
Trending Photos
Raj Kapoor’s Peshawar Haveli: पाकिस्तान के पेशावर उच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक शहर पेशावर में प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता राज कपूर की हवेली पर स्वामित्व मांगने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. 2016 में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की प्रांतीय सरकार ने हवेली को राष्ट्रीय विरासत घोषित किया था. याचिकाकर्ता ने दावा किया था उसके पिता ने एक नीलामी के दौरान 1969 में हवेली खरीदी थी. उसका कहना था कि इस हवेली की पूरी लागत का भुगतान किया था, मगर प्रांतीय सरकार ने इसका अधिग्रहण कर लिया. वास्तव में जिस जगह यह हवेली बनी है, वह आज प्राइम लोकेशन है. याचिकाकर्ता हवेली को अपने अधिकार में लेकर इसे गिराकर इसका कॉमर्शियल इस्तेमाल चाहते हैं. यह हवेली जर्जर अवस्था में है. मगर अदालत ने उनका दावा खारिज कर दिया. हालांकि पीठ ने कहा है कि इस मामले को दीवानी अदालत में भेजा जा सकता है.
राष्ट्रीय धरोहर घोषित
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने अदालत में कहा कि प्रांतीय पुरातत्व विभाग द्वारा वर्ष 2016 में कपूर हवेली को राष्ट्रीय विरासत घोषित किया गया है. राज कपूर का परिवार कभी इस हवेली में रहा करता था. इसी हवेली में पृथ्वीराज कपूर और फिर राज कपूर का भी जन्म हुआ. इस लिहाज से फिल्म संस्कृति की यह अनमोल धरोहर है. पेशावर के लोकप्रिय किस्सा ख्वानी बाजार में स्थित यह पैतृक, कपूर हवेली, 1918-1922 के दौरान बनाई गई थी. इसे राज कपूर के दादा दीवान बशेश्वरनाथ कपूर ने बनाया था. उनके दो बेटे पृथ्वीराज कपूर और त्रिलोक कपूर यहां पैदा हुए थे.
राहत की सांस
उल्लेखनीय है कि 1990 में दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर और रणधीश कपूर ने इस हवेली का दौरा किया था. पेशावर हाईकोर्ट के फैसले से राज कपूर के प्रशंसकों और सिनेमा की सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने के लिए संघर्ष करने वालों ने राहत की सांस ली है. उल्लेखनीय है कि इसी हवेली के नजदीक वह घर भी है, जहां पर हिंदी सिनेमा के एक और दिग्गज सितारे दिलीप कुमार का जन्म हुआ था. नवाज शरीफ की सरकार ने किस्सा ख्वानी बाजार के उस घर को भी पाकिस्तान के लिए राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था. वह घर भी आज बरकरार है.