Film Ek Duje Ke Liye: फिल्में या गाने यूं ही नहीं क्लासिक बन जाते. उन पर काम किया जाता है. यह एक बात इसकी गवाही देगी. फिल्म थी, एक दूजे के लिए और गाना था सोलह बरस की बाली उमर को सलाम.... निर्देशक को शूटिंग के वक्त दो शब्द समझ नहीं आए और कैमरा बंद कर दिया गया. फिर क्या हुआ, जानना रोचक है.
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Kamal Haasan Rati Agnihotri: आजकल फिल्में नहीं चलती. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि फिल्में अच्छी नहीं बन रहीं क्योंकि उनकी स्क्रिप्ट पर काम नहीं होता. गानों के बोल पर ध्यान नहीं दिया जाता. गानों के कई बोलों का कोई मतलब ही नहीं होता और कई तो समझ ही नहीं आते. लेकिन पुरानी फिल्में न सिर्फ हिट होती थीं, बल्कि उनके गाने आज भी सुनने में मधुर लगते हैं. वे क्लासिक कहे जाते हैं. गानों के एक-एक शब्द पर ध्यान दिया जाता था. ऐसा ही एक किस्सा है 1981 में आई सुपरहिट फिल्म एक दूजे के लिए का. इस फिल्म में गाने के दो शब्द समझ न आने पर डायरेक्टर ने शूटिंग रोक दी थी. बात है सुपरहिट गाने सोलह बरस की बाली उमर को सलाम... गाने की शूटिंग की.
और रुक गई शूटिंग
निर्देशक के. बालचन्द्र गाने को डायरेक्ट कर रहे थे. कमल हासन और रति अग्निहोत्री पर यह गाना गोवा में फिल्माया जा रहा था. सब कुछ बढ़िया चल रहा था. दोनों कलाकार डायरेक्टर के कहे मुताबिक ही काम कर रहे थे कि अचानक के बालचन्द्र ने शूटिंग बीच में रोक दी. वहां मौजूद हर व्यक्ति अचंभित था क्योंकि सब कुछ बहुत बढ़िया तरीके से शूट हो रहा था. के बालचन्द्र ने कहा मुझे गीतकार आंनद बख्शी से मिलना है. उस समय आंनद बख्शी मुंबई में नहीं थे. वह किसी काम से हैदराबाद गए हुए थे. के बालचन्द्र ने आंनद बख्शी को तुरंत गोवा बुलवाया क्योंकि उन्हें गाने में दो शब्द समझ नहीं आ रहे थे. जब आंनद बख्शी दो दिन बाद पहुंचे तो के. बालचंद्र ने उनसे पूछा कि आपने लिखा हैः मिलते रहे यहां हम, ये है यहां लिखा इस लिखावट की जेर-ओ-जबर को सलाम. ये जे जेर-ओ-जबर का क्या मतलब है?
बन गई बिगड़ी बात
तब आंनद बख्शी ने उन्हें बताया कि ये फारसी से आए शब्द हैं और उनका मतलब है अस्त-व्यस्त होना, ऊपर-नीचे होना, बनना-बिगड़ना. जब इन दो शब्दों का मतलब समझ आया तब आगे का गाना शूट किया गया. यह गाना आज भी खूब देखा-सुना जाता है. वास्वत में पूरी फिल्म ही क्लासिक कही जाती है. एक दूजे के लिए 5 जून 1981 को रिलीज हुई थी. 50 लाख में बनी इस फिल्म ने उस समय बॉक्स ऑफिस पर 10 करोड़ रुपये से भी अधिक की कमाई की थी. फिल्म के सारे गाने सुपर हिट रहे. खासतौर पर तेरे मेरे बीच में. इस गाने को एस.पी. बालासुब्रमण्यम ने गाया था और म्यूजिक लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का था. दक्षिण भारतीय गायक एसपी बालासुब्रह्मण्यम की यह पहली हिंदी फिल्म थी. कई लोगों को लग रहा था कि एक दक्षिण भारतीय गायक हिंदी गाने को ठीक से नहीं गा पाएगा. लेकिन एस पी बालासुब्रमण्यम ने सबको गलत साबित किया. उन्होंने एक गाने को छोड़कर फिल्म के सारे गाने गाए और सभी सुपर हिट हुए. एस.पी. बालासुब्रमण्यम ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्वगायक तथा आंनद बख्शी ने फिल्म फेयर में सर्वश्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार जीता.