Maharashtra Election Result 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर के बीच 58 उम्मीदवार ऐसे रहे जिन्होंने एक लाख से अधिक वोट हासिल किए, फिर भी हार गए.
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Maharashtra Election Result 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर के बीच 58 उम्मीदवार ऐसे रहे जिन्होंने एक लाख से अधिक वोट हासिल किए, फिर भी हार गए. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट और धीरज देशमुख जैसे बड़े नाम शामिल हैं. इस मुकाबले ने महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरणों को उजागर किया है.
राकांपा को सबसे अधिक नुकसान
शरद पवार की अगुआई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के 22 उम्मीदवार ऐसे रहे, जिन्होंने एक लाख से ज्यादा वोट पाने के बावजूद हार का सामना किया. इसके बाद कांग्रेस के 16, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (उबाठा) के सात और भाजपा के चार उम्मीदवार इसी स्थिति में रहे. अजित पवार की राकांपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के भी कुछ उम्मीदवार इस सूची में शामिल हैं.
पृथ्वीराज चव्हाण और बालासाहेब थोराट की हार
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण कराड दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से हार गए. उन्हें 1,00,150 वोट मिले, जबकि भाजपा के अतुल भोसले ने 1,39,505 वोट हासिल कर जीत दर्ज की. इसी तरह, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट शिवसेना के अमोल खटाल से 10,560 वोटों से हार गए.
धीरज देशमुख का करीबी मुकाबला
लातूर ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस नेता धीरज देशमुख को भाजपा के रमेश कराड से 6,595 मतों के मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा. कराड ने 1,12,051 वोट हासिल किए, जबकि देशमुख को 1,05,456 वोट मिले. यह हार कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है.
पुणे और संभाजीनगर में कड़ी टक्कर
पुणे और छत्रपति संभाजीनगर जैसे जिलों में कांटे की टक्कर वाले मुकाबले असाधारण रूप से अधिक रहे. इन जिलों में कई उम्मीदवारों ने भारी वोट हासिल किए लेकिन छोटी-छोटी बढ़तों ने विजेताओं और पराजितों के बीच अंतर तय किया. एकनाथ शिंदे की शिवसेना, भाजपा और अजित पवार की राकांपा के महायुति गठबंधन ने 288 में से 230 सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता बरकरार रखी. वहीं, विपक्षी महाविकास आघाड़ी को केवल 46 सीटें मिल सकीं. महायुति की इस बड़ी जीत ने विपक्ष को रणनीति पर फिर से विचार करने को मजबूर किया है.
क्या दर्शाते हैं ये नतीजे?
चुनाव परिणाम इस बात को उजागर करते हैं कि एक लाख से अधिक वोट प्राप्त करना जीत की गारंटी नहीं है. इन परिणामों से स्पष्ट है कि चुनावी रणनीति, गठबंधन और स्थानीय मुद्दे वोट प्रतिशत से अधिक निर्णायक साबित होते हैं.
(एजेंसी इनपुट के साथ)