Lok Sabha Chunav: 238 हार में भी एक जीत है... वो कैंडिडेट जो मोदी, अटल, मनमोहन और राहुल के खिलाफ लड़ा चुनाव
Advertisement

Lok Sabha Chunav: 238 हार में भी एक जीत है... वो कैंडिडेट जो मोदी, अटल, मनमोहन और राहुल के खिलाफ लड़ा चुनाव

K Padmarajan News: भारत के सबसे बड़े इलेक्शन लूजर एक और चुनाव लड़ने जा रहे हैं. इन्हें इलेक्शन किंग कहा जाता है. इनका नाम के. पद्मराजन है और दिलचस्प बात यह है कि नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक को यह चुनौती दे चुके हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में यह फिर मैदान में हैं. 

Lok Sabha Chunav: 238 हार में भी एक जीत है... वो कैंडिडेट जो मोदी, अटल, मनमोहन और राहुल के खिलाफ लड़ा चुनाव

Election King K Padmarajan: चुनाव में जीतने वाले की चर्चा तो सभी करते हैं पर क्या आप दुनिया के 'सबसे बड़े इलेक्शन लूजर' के बारे में जानते हैं? हां, वह अपने ही देश के नागरिक हैं और अब तक 238 इलेक्शन हार चुके हैं. नाम है के. पद्मराजन. अब वह एक और लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. माथे पर तिलक, कंधे पर पीला अंगवस्त्र, रौबदार मूंछें... 65 साल के पद्मराजन की यही पहचान है. वह हारकर भी खुश हैं. 

टायर रिपेयर की दुकान

पद्मराजन टायर रिपेयर की दुकान चलाते हैं. उन्होंने तमिलनाडु के अपने होम टाउन मैतूर से 1988 में चुनाव लड़ना शुरू किया था. जब भी वह चुनाव में उतरते, लोग हंसने लगते. हालांकि इससे बेफिक्र पद्मराजन कहते हैं कि वह इस बात को साबित करना चाहते हैं कि एक सामान्य आदमी भी चुनाव लड़ सकता है. 

पढ़ें: राजनीति में फिर गोविंदा आला रे! तब अमिताभ की तरह क्यों प्रणाम कर गए थे राजाबाबू?

वह कहते हैं कि सभी कैंडिडेट जीत हासिल करने के लिए चुनाव लड़ते हैं लेकिन मैं नहीं. उनके लिए तो चुनाव में हिस्सा लेना ही जीत है. वह कहते हैं कि चुनाव में हारने के बाद भी वह खुश रहते हैं. 

इस बार लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग 19 अप्रैल से शुरू हो जाएगी और छह हफ्ते तक चुनाव चलेंगे. पद्मराजन तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले की एक लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं. लोग उन्हें 'इलेक्शन किंग' कहते हैं. वह लोकल इलेक्शन से लेकर राष्ट्रपति चुनाव तक लड़ चुके हैं. 

पढ़ें: 2019 का सीन पलटकर इस बार कांग्रेस ने फंसा दी सिंधिया की सीट?

हाल के वर्षों में वह पीएम नरेंद्र मोदी, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी से हार चुके हैं. उन्होंने कहा कि सामने कौन उम्मीदवार है, मैं इसकी परवाह नहीं करता हूं. 

हालांकि यह मिशन उनके लिए सस्ता नहीं है. वह बताते हैं कि तीन दशक में नॉमिनेशन फीस के नाम पर लाखों रुपये खर्च हो चुके हैं. इसमें 25 हजार रुपये की जमानत राशि शामिल होती है. यह पैसा 16 प्रतिशत वोट हासिल न करने की स्थिति में जब्त कर लिया जाता है. हारते-हारते पद्मराजन भारत के सबसे असफल कैंडिडेट के तौर पर अपना नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जरूर दर्ज करा चुके हैं. (फोटो- सोशल मीडिया)

पढ़ें: देश का वो चुनाव आयुक्त, जिसने कहा था मैं भारत सरकार का हिस्सा नहीं हूं

Trending news