Lok Sabha Chunav : राजनीति में फिर गोविंदा आला रे! तब अमिताभ की तरह क्यों प्रणाम कर गए थे राजाबाबू?
Advertisement

Lok Sabha Chunav : राजनीति में फिर गोविंदा आला रे! तब अमिताभ की तरह क्यों प्रणाम कर गए थे राजाबाबू?

Govind Join Shiv Sena: पक चिक पक राजाबाबू... दुनियाभर के लोगों को अपनी संवाद अदायगी से हंसाने और डांस के लिए मजबूर करने वाले गोविंदा ने एक बार फिर से राजनीति में कदम रखा है. 20 साल पहले भी वह राजनीति में आए थे लेकिन जल्दी वापस हो लिए. तब वह सोनिया गांधी की तारीफ करते थे और मुंबई से जीतकर संसद पहुंचे थे. अब लोकसभा चुनाव के बीच शिंदे की शिवसेना में गए हैं. 

Lok Sabha Chunav : राजनीति में फिर गोविंदा आला रे! तब अमिताभ की तरह क्यों प्रणाम कर गए थे राजाबाबू?

Govinda Political Journey: 14 साल का राजनीतिक वनवास पूरा कर गोविंदा ने फिर से राजनीति में एंट्री ली है. पिछली बार वह 2004 के लोकसभा चुनाव में जीते थे. अब महाराष्ट्र के एकनाथ शिंदे की शिवसेना में आए तो बोले कि वह 14वीं लोकसभा थी. यह अद्भुत संयोग है कि अब 14 साल बाद फिर से राजनाति में आया हूं. पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने संसद की सीढ़ियां चढ़ी थीं. हालांकि 3-4 साल में ही उनके राजनीति से मोहभंग होने की खबरें आने लगीं. 

अमिताभ की तरह छोड़ी राजनीति

एक्टर से सांसद बने गोविंदा ने तब कहा था कि वह अमिताभ बच्चन की तरह राजनीति छोड़ना चाहते हैं. मुंबई नॉर्थ से जीते गोविंदा के इस फैसले ने कांग्रेस को हैरान कर दिया था. तब कांग्रेसी कार्यकर्ता कहते थे कि गोविंदा को टिकट देने का फैसला ही गलत था. इससे पहले इलाहाबाद से सांसद बने अमिताभ बच्चन ने भी बहुत जल्दी राजनीति को अलविदा कह दिया था. 

दरअसल, लोकप्रियता को भुनाने के लिए पार्टियां फिल्मी सितारों को राजनीति में लेकर आती हैं लेकिन अभिनेता ज्यादा फोकस अपनी एक्टिंग पर ही देते हैं. हां, फिल्में न मिल रही हों तो अलग बात है. पिछले पांच वर्षों में भी देखिए कई बॉलीवुड हस्तियों ने संसद में एंट्री ली लेकिन उनकी उपस्थिति बेहद कम रही. पार्टियों को फायदा यह होता है कि बड़े से बड़े नेता फिल्मी सितारों की लोकप्रियता के सामने नहीं ठहरते. 

पढ़ें: देओल, शत्रुघ्न, हेमा... कंगना की चर्चा में सांसद बने सितारों का रिपोर्ट कार्ड देखिए

तब कांग्रेस के टिकट पर जीते गोविंदा

पिछली बार मुंबई नॉर्थ से नए नवेले गोविंदा ने भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम नाईक को हराया था. तब यह सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती थी और कांग्रेस की कोई प्रजेंस नहीं थी लेकिन गोविंदा की लोकप्रियता के सामने नाईक के पांव उखड़ गए. हालांकि राजनीति से गोंविदा जब विदा हुए तब कुछ गुस्साए कांग्रेसियों ने यह भी कह दिया था कि एक्टर का फिल्मी करियर ढलान पर था, ऐसे में वह राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने आए थे. 

तब गोविंदा ने क्यों छोड़ी राजनीति?

ऐसे में सवाल यह है कि तब राजनीति छोड़ने की असल वजह क्या थी और अब राजाबाबू ने फिर से एंट्री क्यों ली है? पहले सवाल का जवाब गोविंदा ने कई इंटरव्यू में दिया है. 7 साल पहले एक इंटरव्यू में जब गोविंदा से पूछा गया कि क्या वह राजनीति में जाएंगे तो उन्होंने हंसते हुए कहा था कि प्रणाम है भैया. और अच्छे से प्रणाम है. वो इसलिए कि मैं उस सब्जेक्ट का ज्ञाता नहीं हूं. क्या होता है कि आप जिस विषय के ज्ञाता न हों, वहां आपकी उपस्थिति अच्छी नहीं है. 

पढ़ें: 2019 का सीन पलटकर इस बार कांग्रेस ने फंसा दी सिंधिया की सीट?

अब शिंदे सेना में आने के बाद गोविंदा ने राज्य सरकार के सौंदर्यीकरण, विकास और इन्फ्रास्ट्रक्चर के कार्य गिनाए. उन्होंने कहा कि यह इससे पहले देखा नहीं गया. पिछले 10 साल में पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल की तारीफ करते हुए उन्होंने महाराष्ट्र में शिंदे सरकार की सराहना की. बताया जा रहा है कि उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट मिल सकता है. उम्मीद की जानी चाहिए कि अगर वह जीते तो कम से कम पांच साल राजनीति में बने रहेंगे.

पढ़ें: देश का वो चुनाव आयुक्त, जिसने कहा था मैं भारत सरकार का हिस्सा नहीं हूं

Trending news