Lok Sabha Election 2024: 5 साल पहले धरने पर बैठी थीं ममता, अब EC ने DGP पद से हटाया, क्यों राजीव कुमार के लिए ममता बन जाती हैं 'ढाल'
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Lok Sabha Election 2024: 5 साल पहले धरने पर बैठी थीं ममता, अब EC ने DGP पद से हटाया, क्यों राजीव कुमार के लिए ममता बन जाती हैं 'ढाल'

Who is Rajeev Kumar: इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) के 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल दिसंबर में बंगाल का डीजीपी नियुक्त किया गया था. इससे पहले वह डिपार्टमेंट ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी में प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद पर काम कर रहे थे. 

Lok Sabha Election 2024: 5 साल पहले धरने पर बैठी थीं ममता, अब EC ने DGP पद से हटाया, क्यों राजीव कुमार के लिए ममता बन जाती हैं 'ढाल'

Mamata Banerjee: लोकसभा चुनाव 2024 की रणभेरी बज चुकी है. देश में 19 अप्रैल से 7 चरणों में वोटिंग होगी और नतीजों का ऐलान 4 जून को होगा. लेकिन घोषणा के बाद चुनाव आयोग एक्शन में आ गया है. आयोग ने बंगाल के डीजीपी राजीव कुमार समेत 6 राज्यों-गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और उत्तराखंड के गृह सचिवों को हटा दिया. इसके अलावा मिजोरम के प्रशासनिक सचिव को भी हटा दिया गया है. लेकिन बंगाल के डीजीपी को हटाए जाने की काफी चर्चा हो रही है. वह इसलिए क्योंकि डीजीपी राजीव कुमार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बेहद करीबी सिपहसालार माने जाते हैं. राजीव कुमार के कारण ममता बनर्जी की केंद्र की मोदी सरकार से तकरार हो चुकी है और 'दीदी' ने रात भर सड़क पर धरना दिया था. आइए आपको बताते हैं कौन हैं राजीव कुमार. 

पिछले साल बने थे डीजीपी

इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) के 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल दिसंबर में बंगाल का डीजीपी नियुक्त किया गया था. इससे पहले वह डिपार्टमेंट ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी में प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद पर काम कर रहे थे. जब मनोज मालवीय बंगाल के डीजीपी के पद से रिटायर हुए तो तुरंत राजीव कुमार को डीजीपी बनाए जाने का आदेश जारी हो गया. ममता सरकार के इस कदम ने सिर्फ विपक्षी बीजेपी को ही नहीं बल्कि टीएमसी में भी बहस छेड़ दी थी. सवाल उठा था कि राजीव कुमार पिछले चार वर्षों से आईटी सचिव थे और उन्हें अचानक राज्य का डीजीपी कैसे बना दिया गया? 

राजीव कुमार बंगाल के क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीआईडी) में एडिश्नल डीजीपी के तौर पर सेवा दे चुके हैं. सीबीआई ने राजीव कुमार पर एसआईटी की अगुवाई करते हुए शारदा घोटाले की जांच के दौरान सबूतों को दबाने और छुपाने का आरोप लगाया था. घोटाले की छानबीन करने के लिए राज्य सरकार ने एसआईटी गठित की थी. शारदा घोटाला 2013 में सामने आया था और शारदा चिट फंड में निवेश करने वाले बड़ी संख्या में आर्थिक रूप से तबाह हो गए थे.

धरने पर बैठ गई थीं ममता

सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. तीन फरवरी 2019 को जब सीबीआई की टीम घोटाले से संबंध में पूछताछ करने के लिए कुमार के घर गई थी तो उसे रोका गया और मुख्यमंत्री बनर्जी  मोदी सरकार पर विपक्ष के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए धरने पर बैठ गई थीं. उस वक्त राजीव कुमार कोलकाता के पुलिस कमिश्नर थे.

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उत्तर प्रदेश के रहने वाले राजीव कुमार जब STF के हेड थे, तब माओवादियों और अपराधियों के खिलाफ ऑपरेशन काफी चर्चा में रहे थे. बतौर जांचकर्ता और गजब का इन्फॉर्मेशन नेटवर्क होने के कारण उन्होंने लालगढ़ आंदोलन के बड़े नाम छत्रधर महतो को पकड़ा था.  साल 2009 से लेकर 2011 तक माओवादियों के खिलाफ नकेल कसने में भी उनकी अगुआई वाली एसटीएफ की अहम भूमिका रही थी.

नीरज कुमार ने की थी तारीफ

दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने अपनी किताब 'डायल डी फॉर डॉन' में 2001 में अमेरिका में 9/11 के हमले और खादिम जूता कंपनी के सीईओ पार्थ प्रतिम रॉय बर्मन के हाई-प्रोफाइल अपहरण मामले के बाद उस वक्त सीआईडी के सीनियर सुप्रीटेंडेंट के रूप में काम कर रहे राजीव कुमार की जांच की तारीफ की थी.

साल 2011 में जब लेफ्ट को हराकर ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी सत्ता में आई थी, तब राजीव कुमार को कम अहम पद देने की कोशिशें की गई थीं, लेकिन वरिष्ठ पुलिस अफसरों की दखलअंदाजी के कारण ऐसा नहीं हो पाया. साल 2012 में जब बिधाननगर पुलिस कमिश्नरेट बना तो राजीव कुमार को पहला कमिश्नर बनाया गया था. साल 2016 के विधानसभा चुनावों में चुनाव आयोग ने उनको हटाने का फैसला किया था. लेकिन बाद में जब ममता सरकार दूसरी बार सत्ता में आई तो उनको फिर से बहाल कर दिया गया था.  

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