Morena Lok Sabha Chunav 2024 News: चंबल की चर्चित मुरैना लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ कही जाती है. यहां अबतक कुल 13 चुनाव हो चुके हैं, जिसमें से सात बार बीजेपी, दो बार कांग्रेस, एक-एक बार जनसंघ, भारतीय लोकदल और एक बार निर्दलीय विजयी हो चुके हैं. इस बार यहां कौन बनेगा विजेता, इसका समीकरण समझ लीजिए.
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Morena Lok Sabha Election 2024: मुरैना मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से एक मुरैना भी है और बहुत ही लोकप्रिय सीट है. उसका एक कारण यह भी है कि ये सीट चंबल में मौजूद है. यह सीट 1952 से अस्तित्व में है और कई मजेदार चुनावों की गवाह भी है. इस सीट की एक खास बात यह भी है कि यह यूपी और राजस्थान की सीमा से लगी है. बीते 28 सालों से यहां बीजेपी का ही कब्जा है और फिलहाल नरेंद्र सिंह तोमर इस सीट से सांसद थे, जो अब यहीं से मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा अध्यक्ष बन गए हैं.
मुरैना-श्योपुर संसदीय सीट मध्य प्रदेश की उन सीटों में से एक है जहां जातिगत समीकरण चुनाव परिणामों को निर्धारित करते हैं. यहां कोई लहर ज्यादा काम नहीं करती, क्योंकि वोटर जातिगत आधार पर ही अपने उम्मीदवारों को चुनते हैं.
कभी था डाकुओं का आतंक.. वोट डालने से कतराते थे लोग..
मुरैना, जो कभी दस्युओं के खौफ से कांपता था, अब लोकतंत्र की गहराती जड़ों का प्रतीक बन गया है. एक समय था जब चुनावों में दस्युओं का दबदबा हुआ करता था. वे अपनी बंदूकों की नोंक पर वोटरों को डराते-धमकाते थे और अपनी पसंद के उम्मीदवारों को जिताते थे. हत्या, लूट और अपहरण जैसी घटनाएं आम थीं. लेकिन समय बदला, और आज मुरैना में लोकतंत्र का नया दौर है. दस्युओं का आतंक समाप्त हो गया है और लोग स्वतंत्रतापूर्वक अपना वोट डालते हैं. विकट तो हुआ है लेकिन अब भी वहां जाति और धर्म प्रमुख मुद्दे हैं.
जब मुरैना ने कांग्रेस-जनसंघ दोनों को नकारा
मुरैना लोकसभा सीट का इतिहास रोचक घटनाओं से भरा हुआ है. 1967 का चुनाव ऐसा ही एक अनोखा चुनाव था, जब मतदाताओं ने भाजपा और कांग्रेस दोनों को नकार दिया और निर्दलीय उम्मीदवार आत्मदास को जिताकर संसद में भेजा. उस समय, भारतीय जनसंघ के उदय के बाद कांग्रेस कमजोर हुई थी. मुरैना से कांग्रेस ने सूरज प्रसाद और जनसंघ ने हुकुमचंद को प्रत्याशी बनाया था. लेकिन, मतदाताओं ने दोनों प्रमुख दलों से ऊब चुके थे और वे बदलाव चाहते थे. उन्होंने आत्मदास को, जो एक स्वतंत्र उम्मीदवार थे, अपना समर्थन दिया. आत्मदास की जीत एक ऐतिहासिक घटना थी.
1996 का अविश्वसनीय चुनाव
मुरैना लोकसभा सीट का इतिहास रोचक घटनाओं से भरा हुआ है. 1996 का चुनाव ऐसा ही एक अविश्वसनीय चुनाव था, जिसमें 70 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिया था. यह संख्या इतनी बड़ी थी कि इसने निर्वाचन आयोग को चिंता में डाल दिया था. हालांकि, बाद में 41 उम्मीदवारों ने नामांकन वापस ले लिया, जिसके बाद 26 उम्मीदवार चुनाव मैदान में बचे. यह चुनाव भाजपा के अशोक अर्गल के लिए जीत का क्षण था, जिन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को हराकर जीत हासिल की.
जातिवाद की राजनीति:
इस सीट पर मुख्य रूप से ठाकुर और ब्राह्मण मतदाताओं के बीच ही लड़ाई होती है.
जातिवाद के कारण ही इस सीट का रुझान अक्सर विपरीत दिशा में जाता है.
सवर्ण वोटर, जिनकी संख्या करीब 5 लाख है, निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
दलित (3 लाख), क्षत्रिय (2 लाख), वैश्य (1.25 लाख) और मुस्लिम (80-90 हजार) मतदाता भी चुनाव परिणामों को प्रभावित करते हैं.
साल | विजयी उम्मीदवार | पार्टी |
1952 | Radha Charan Sharma | Congress |
1957 | Radha Charan Sharma | Congress |
1962 | Suraj Prasad | Congress |
1967 | Atamdas | Independent |
1971 | Hukam Chand Kachwai | Jana Sangh |
1977 | Chhaviram Argal | Janata Party |
1980 | Babulal Solanki | Congress (I) |
1984 | Kammodilal Jatav | Congress |
1989 | Chhaviram Argal | BJP |
1991 | Barelal Jatav | Congress |
1996 | Ashok Argal | BJP |
1998 | Ashok Argal | BJP |
1999 | Ashok Argal | BJP |
2004 | Ashok Argal | BJP |
2009 | Narendra Singh Tomar | BJP |
2014 | Anoop Agrawal | BJP |
2019 | Narendra Singh Tomar | BJP |
2024 |
2024 का समीकरण क्या है?
लोकसभा चुनाव 2024 में मुरैना सीट पर समीकरण काफी रोचक होने की उम्मीद है. यहां मुख्य रूप से बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला होगा. लेकिन इस बार बीजेपी को नया उम्मीदवार बनाना होगा क्योंकि तोमर को मध्य प्रदेश विधानसभा में भेज दिया गया है. उधर देखना होगा कि कांग्रेस कैसे विजय रथ रोकती है.