Lok Sabha Election: बिहार से महाराष्ट्र और गुजरात से हिमाचल तक सियासी खलबली, कहीं कांग्रेस के साथ हो ना जाए 'खेला'?
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Lok Sabha Election: बिहार से महाराष्ट्र और गुजरात से हिमाचल तक सियासी खलबली, कहीं कांग्रेस के साथ हो ना जाए 'खेला'?

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद से राजनीति गर्म है. गठबंधन के समीकरणों के साथ ही दलबदल का खेल हावी है. विपक्षी एकता पर सवाल उठ रहे हैं तो NDA के सामने भी कुछ चुनौतियां ऐसी हैं जिनका समाधान अभी नहीं निकल पाया है.

Lok Sabha Election: बिहार से महाराष्ट्र और गुजरात से हिमाचल तक सियासी खलबली, कहीं कांग्रेस के साथ हो ना जाए 'खेला'?

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद से राजनीति गर्म है. गठबंधन के समीकरणों के साथ ही दलबदल का खेल हावी है. विपक्षी एकता पर सवाल उठ रहे हैं तो NDA के सामने भी कुछ चुनौतियां ऐसी हैं जिनका समाधान अभी नहीं निकल पाया है. इस सियासी मौसम में कांग्रेस के लिए कुछ भी अच्छा होता नहीं दिखाई दे रहा. आइये बिहार से महाराष्ट्र तक और गुजरात से हिमाचल तक सियायी हलचल पर नजर डालते हैं.

सम्राट चौधरी के बयान पर बवाल

लोकसभा चुनाव से पहले सियासी शतरंज की हर चाल चौंका रही है. गठबंधन बन रहे हैं, बिगड़ रहे हैं, बयानों की बाढ़ के बीच भाषा की मर्यादा के सवाल भी उठने लगे हैं. राजनीतिक लक्ष्मण रेखा पार करने की राजनीति की शुरुआत बिहार से हुई है. जहां डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के एक बयान पर बवाल मचा है.

किडनी के बदले टिकट..

सम्राट चौधरी ने लालू प्रसाद यादव और उनकी बेटी रोहिणी आचार्य को लेकर ऐसा बयान दिया जिसे लेकर राजनीति गर्मा गई है.  सम्राट चौधरी ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पर लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों को ‘टिकट बेचने’ का आरोप लगाया. चौधरी ने कहा कि उन्होंने (लालू) किडनी के बदले अपनी सगी बेटी को टिकट दिया है.

कार्यकर्ताओं में काबिलियत क्यों नहीं दिखती?

चौधरी ने सवाल किया,‘आखिर किडनी लेने से पहले लालू प्रसाद ने बेटी को टिकट क्यों नहीं दिया? लालू प्रसाद को अपने बेटे-बेटियों के अलावा पार्टी के कार्यकर्ताओं में काबिलियत क्यों नहीं दिखती है? क्या परिवार तक सीमित रहना या कार्यकर्ताओं का हक मारकर अपनी पत्नी, बेटे, बेटियों को लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद का टिकट देना किसी लोकतांत्रिक पार्टी का चरित्र है?’

I.N.D.I.A. गठबंधन में भी तकरार

किडनी और टिकट का कनेक्शन सम्राट चौधरी कहां से लाए ये तो वही बेहतर बता सकते हैं. लेकिन बिहार की राजनीति में I.N.D.I.A. गठबंधन में भी तकरार बढ़ने लगी है. विवाद RJD के उम्मीदवार घोषित होने के बाद शुरू हुआ है. बताया जा रहा है कि लालू प्रसाद की पार्टी के इस कदम से कांग्रेस नाराज है, क्योंकि अभी तक गठबंधन में सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बनी है.

बिहार में सीटों पर फंसा पेंच

बिहार में RJD ने 13 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. जबकि CPI-ML ने तीन
3, CPM ने 1 और CPI ने भी अपने एक-एक प्रत्याशी की घोषणा कर दी है. लेकिन कांग्रेस कुछ तय नहीं कर पा रही. बिहार की तरह महाराष्ट्र में भी I.ND.I.A गठबंधन का गणित गड़बड़ है. शीट शेयरिंग को लेकर अब तक रास्ता नहीं निकल पाया. तरकार इतनी बढ़ गई है कि मुंबई की उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट पर उद्धव ठाकरे की पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतार दिया है.

मुंबई में भी कांग्रेस के साथ खेला?

इस सीट पर कांग्रेस के संजय निरूपम की नजर थी. इसीलिए संजय अब पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी करने लगे हैं. गठबंधन की इस उलझन वाली राजनीति के बीच हिमाचल की राजनीति में फिर तूफान आ गया है. दिल्ली में आज हिमाचल कांग्रेस के 6 बागी विधायकों ने बीजेपी की सदस्यता ली. इसके जरिए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बड़ा संदेश देने की कोशिश की गई है.

हिमाचल में 6 विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव

बागी और निष्कासित विधायक सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजेंद्र सिंह राणा, चैतन्य शर्मा, देवेंदर भुट्टो, इंदर दत्त लखनपाल ने आज बीजेपी का दामन थामा. माना जा रहा है कि बीजेपी इन सभी को विधानसभा उपचुनाव के लिए टिकट दे सकती है. हिमाचल में लोकसभा के साथ ही 6 विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव की घोषणा की जा चुकी है. मगर सियासी शतरंज पर एक और चाल 3 निर्दलीय विधायकों ने भी चली है. विधानसभा से इस्तीफा देने वाले तीन निर्दलीय विधायक होशियार सिंह, केएल ठाकुर और आशीष शर्मा भी आज बीजेपी में शामिल हो गए हैं.

हिमाचल में बीजेपी का बढ़ता कुनबा

हिमाचल में बीजेपी का बढ़ता कुनबा कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है. सुक्खू सरकार का भविष्य क्या होगा इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं. हिमाचल में कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ रही है तो चुनावी मैदान से गुजरात में बीजेपी के दो उम्मीदवार पीछे हट गए हैं. वडोदरा से मौजूदा सांसद रंजन बेन ने और साबरकांठा से भीखाजी ठाकोर ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है.

हर कोई अपनी-अपनी रणनीति बना रहा

मौका चुनाव का है और हर कोई अपनी-अपनी रणनीति बना रहा है. जिस तरह जगह-जगह उठापटक हो रही है, उससे साफ है कि सियासी शतरंज की बाजी जीतने के लिए हर कोई जोर लगा रहा है. मगर कामयाबी किसे मिलेगी ये देश की जनता को तय करना है.

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