IIT बॉम्बे टेक्फेस्ट में इसरो चीफ ने कहा भारत बनाएगा स्पेस स्टेशन, लोगों को कराएगा चंद्रमा की सैर
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IIT बॉम्बे टेक्फेस्ट में इसरो चीफ ने कहा भारत बनाएगा स्पेस स्टेशन, लोगों को कराएगा चंद्रमा की सैर

ISRO Chief S Somnath: एस सोमनाथ ने टेकफेस्ट में कहा "हमने एक उपग्रह बनाने की पेशकश की है और हम जी20 देशों से इस उपग्रह में पेलोड, उपकरण जिन्हें वे यहां विकसित कर सकते हैं, उसके माध्यम से योगदान करने के लिए कह रहे हैं.

IIT बॉम्बे टेक्फेस्ट में इसरो चीफ ने कहा भारत बनाएगा स्पेस स्टेशन, लोगों को कराएगा चंद्रमा की सैर

IIT Bombay Techfest: आईआईटी बॉम्बे में टेकफेस्ट के 27वें संस्करण का आयोजन किया जा रहा है, जो आज से शुरू हुआ है. फेस्ट में इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ भी मौजूद थे, जिन्होंने टेकफेस्ट को संबोधित करते हुए कहा "चंद्रयान -3 की सफलता के बाद, आने वाले 25 वर्षों में इसरो के लिए आगे क्या होगा, इसकी भारी डिमांड है. हमारे पास जो कुछ है उसके लिए हमारे पास एक रोडमैप है. 2047 तक की योजना बनाई गई है... हम एक स्पेस स्टेशन बना सकते हैं, हम मनुष्यों को चंद्रमा पर भेज सकते हैं, और हम अंतरिक्ष में चंद्रमा-आधारित आर्थिक गतिविधि तैयार कर सकते हैं."

एस सोमनाथ ने पेलोड और उपकरणों के माध्यम से जी20 उपग्रह परियोजना में योगदान करने के लिए जी20 देशों से भारत की ओर से अपील की है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कहा गया है कि मौसम और जलवायु निगरानी उपग्रह अगले दो वर्षों में लॉन्च होने वाला है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सोमनाथ ने आईआईटी बॉम्बे के टेकफेस्ट में अपनी प्रस्तुति के दौरान वायु प्रदूषण, ग्रीनहाउस उत्सर्जन, आर्द्रता परिवर्तन, वर्षा, समुद्र के व्यवहार, धाराओं, लहरों, मिट्टी की नमी और विकिरण बजट जैसे महत्वपूर्ण मेट्रिक्स की निगरानी पर उपग्रह के फोकस पर प्रकाश डाला.

सोमनाथ ने टेकफेस्ट में कहा "हमने एक उपग्रह बनाने की पेशकश की है और हम जी20 देशों से इस उपग्रह में पेलोड, उपकरण जिन्हें वे यहां विकसित कर सकते हैं, उसके माध्यम से योगदान करने के लिए कह रहे हैं. हम (उपग्रह) दो साल में लॉन्च करने जा रहे हैं, जो पूरी दुनिया के लिए भारत की ओर से एक योगदान होगा.

सोमनाथ ने मौसम मॉडलिंग और व्यापक वैज्ञानिक जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय को डेटा उपलब्ध कराने की इच्छा पर जोर देकर इस पहल के विश्वव्यापी महत्व पर जोर दिया है.

सोमनाथ ने कहा "हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि डेटा पूरी दुनिया और हर देश के लिए उपलब्ध हो, ताकि वे इसका उपयोग अपने मौसम मॉडलिंग और साइंटिफिक रिसर्च के लिए कर सकें. हम दुनिया के प्रत्येक वैज्ञानिक समुदाय का उपग्रह बनाने के लिए स्वागत कर रहे हैं.

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