Nayab Saini: कितने पढ़े लिखे हैं नायब सैनी, बनने जा रहे हरियाणा के 11वें सीएम
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Nayab Saini: कितने पढ़े लिखे हैं नायब सैनी, बनने जा रहे हरियाणा के 11वें सीएम

Nayab Singh Saini: पार्टी के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें 2009 में हरियाणा में भाजपा किसान मोर्चा के राज्य महासचिव और 2012 में अंबाला भाजपा के जिला अध्यक्ष सहित अलग अलग पदों पर काम करने के लिए मोटिवेट किया.

Nayab Saini: कितने पढ़े लिखे हैं नायब सैनी, बनने जा रहे हरियाणा के 11वें सीएम

Who is Nayab Singh Saini: कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी को पिछले साल अक्टूबर में हरियाणा भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. भाजपा के साथ सैनी की जर्नी 1996 में शुरू हुई थी, जब उन्होंने हरियाणा बीजेपी के संगठनात्मक ढांचे के भीतर शुरुआत की. 2000 तक राज्य महासचिव के साथ काम किया. रैंकों के माध्यम से प्रोग्रेस करते हुए, उन्होंने 2002 में अंबाला में भाजपा युवा विंग के जिला महासचिव की भूमिका निभाई. इसके बाद 2005 में उन्हें अंबाला में जिला अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया. अब नायब सिंह सैनी हरियाणा के नए सीएम होंगे.

कितने पढ़े लिखे हैं नायब सिंह सैनी

नायब सिंह सैनी का जन्म 25 जनवरी 1970 को हुआ था. नायब सिंह सैनी का जन्म हरियाणा के अंबाला के एक छोटे से गांव मिजापुर माजरा में हुआ था. उन्होंने मुजफ्फरपुर में बी.आर. अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय और चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ से बीए और एलएलबी की डिग्री हासिल की है. 

पार्टी के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें 2009 में हरियाणा में भाजपा किसान मोर्चा के राज्य महासचिव और 2012 में अंबाला भाजपा के जिला अध्यक्ष सहित अलग अलग पदों पर काम करने के लिए मोटिवेट किया. उनका राजनीतिक करियर तब आगे बढ़ा जब उन्हें 2014 में नारायणगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य के रूप में चुना गया, जिसके बाद 2016 में उन्हें हरियाणा सरकार में मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया.

3.83 लाख से ज्यादा वोट से हराया

2019 के लोकसभा चुनावों में, नायब सिंह सैनी ने कुरुक्षेत्र निर्वाचन क्षेत्र से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी इंडियन नेशनल कांग्रेस (INC) के निर्मल सिंह को 3.83 लाख से ज्यादा वोट के अंतर से हराया. वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े, जिसके माध्यम से उनकी मुलाकात मनोहर लाल खट्टर से हुई और वह उनसे प्रभावित हुए. कुछ समय बाद वह भाजपा में शामिल हो गए और उसके बाद अंबाला कैंट में अध्यक्ष समेत कई स्थानीय पार्टी कार्यालयों में काम किया. वह ओबीसी का वोट बैंक रहे हैं और लंबे समय से पार्टी के प्रति वफादार रहे हैं.

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