IPS Success Story: नवनीत आनंद ने सेल्फ स्टडी के दम पर कई प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल की. अब उन्होंने देश की सबसे कठिन यूपीएससी परीक्षा में 499वीं रैंक पाकर युवाओं के लिए नई मिसाल पेश की है.
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Navneet Anand IPS Success Story: बिहार के रहने वाले नवनीत आनंद की कहानी पढ़कर आपकी आंखों में नमी आ जाएगी, क्योंकि बहुत ही छोटी से उम्र में उन्हें कठिन चुनौतियां का सामना करना पड़ा. इस समय वह सुर्खियों में हैं, क्योंकि नवनीत आनंद ने देश की सबसे कठिन परीक्षा पास की हैं. उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की है. आइए जानते हैं क्या हैं उनके संघर्ष और सफलता की कहानी...
छोटी उम्र में सिर से उठा पिता का साया
नवनीत आनंद की पढ़ाई राजस्थान और दिल्ली में हुई. उन्होंने छोटी सी उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था, जब वह 7वीं में पढ़ते थे. इसके बाद से उनके ऊपर परिवार की जिम्मेदारी आ गई. हालांकि, उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों के बीच कभी भी अपनी पढ़ाई से समझौता नहीं किया, जिसका नतीजा आज सबके सामने हैं. नवनीत को आईपीएस कैडर अलॉट किया गया है.
बिना समय गवाएं लगे रहे तैयारी में
नवनीत ने 2010-2017 तक राजस्थान के चित्तौड़गढ़ स्थित सैनिक स्कूल से पढ़ाई की थी. यहां के अनुशासन ने उनके जीवन को एक नई दिशा दी. नवनीत ने दिल्ली की अंबेडकर यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से सोशियोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. स्पोर्ट्स में रुचि रखने वाले नवनीत ने ग्रेजुएशन के दौरान ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी. कॉलेज पासआउट होते ही वह सरकारी नौकरी के लिए उनका चयन हो गया.
कई एग्जाम कर चुके हैं क्वालिफाई
यूपीएससी परीक्षा 2023 में नवनीत ने अपना तीसरा अटैम्प्ट दिया, जिसमें उन्होंने 499वीं रैंक हासिल की है. उन्हें आईपीएस कैडर अलॉट मिला है. इस समय नवनीत सीआईएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट की ट्रेनिंग ले रहे हैं. उन्होंने ट्रेनिंग के साथ-साथ ही यूपीएससी इंटरव्यू की तैयारी की थी. इससे पहले नवनीत यूपीएससी सीएपीएफ, सीडीएस और यूजीसी नेट जैसे टफ एग्जाम्स भी क्लियर कर चुके हैं.
निराशा को नहीं होने दिया खुद पर हावी
नवनीत आनंद ने सेल्फ स्टडी के दम पर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता पाई. परीक्षा की तैयारी के दौरान उनके सामने सबसे बड़ा चैलेंज यह था कि पूरे सिलेबस को कवर करते हुए मेंटली स्ट्रॉन्ग रहें, क्योंकि वह पहले दो प्रयासों में विफल हो चुके थे. घर से दूर होने के कारण उनके सामने कई तरह की दिक्कतें आईं, लेकिन उनका ध्यान केवल अपने लक्ष्य पर रहा और आखिरकार कामयाब होकर ही माने.