MBBS Admission: भारत में निजी कॉलेज एमबीबीएस पाठ्यक्रमों के लिए 50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक फीस लेते हैं. विदेश में जाकर मेडिकल करने पर कितना खर्च आता है और वहां एडमिशन कैसे मिलता है, यहां सब कुछ जानिए...
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MBBS Study Abroad: NEET UG 2024 के नतीजों पर हो रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है और 18 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई में उम्मीद है कि इस पर कोर्ट अपना निर्णय सुना दे. रिजल्ट अगर विवादों में नहीं फंसा होता तो NEET UG 2024 के लिए काउंसलिंग 6 जुलाई से शुरू हो चुकी होती. इसी प्रक्रिया से देश भर के मेडिकल कॉलेजों में MBBS और BDS जैसे विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों में एडमिशन होता है.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के अनुसार, देश भर में 386 सरकारी और 320 निजी कॉलेजों में कुल 1,06,333 MBBS सीटें उपलब्ध हैं. इस साल, 23 लाख से अधिक छात्रों ने NEET UG परीक्षा के लिए रजिस्टर किया. अगर सुप्रीम कोर्ट परीक्षा दोबारा कराने का आदेश नहीं देता है, तो एडमिशन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. लेकिन उससे पहले आप ये जान लें कि इस साल NEET के लिए कटऑफ बहुत हाई है, क्योंकि बड़ी संख्या में छात्रों ने 700 से अधिक अंक प्राप्त किए हैं. रैंक प्रेडिक्टर्स के अनुसार, 600 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों की रैंक 19,000 से 23,000 के बीच होने की उम्मीद है. इस साल प्रतिस्पर्धा काफी कड़ी है, जिससे शीर्ष NEET UG स्कोररों के लिए भी AIIMS जैसे संस्थानों में प्रवेश सुरक्षित करना चुनौतीपूर्ण हो गया है.
भारत में एमबीबीएस कोर्स का खर्च
ऐसे में अगर आप देश के प्राइवेट कॉलेज साढ़े पांच साल के एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन लेना चाहते हैं तो इसके लिए आपको 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक का खर्च करना होगा. अगर आपको देश के अपने पसंदीदा मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन नहीं मिल पा रहा है, तो आप विदेश में पढ़ाई करने के बारे में भी सोच सकते हैं. कुछ अन्य देशों में मेडिकल करना, भारत के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के मुकाबले सस्ता है. आइए इन देशों से एमबीबीएस करने के लिए जरूरी फीस और शैक्षणिक योग्यता पर एक नजर डालते हैं.
चीन :
चीन में एमबीबीएस का कोर्स 6 साल का है. इसमें 5 साल की पढ़ाई और एक साल की इंटर्नशिप शामिल है. यहां दाखिला पाने के लिए छात्रों के पास 12वीं कक्षा में भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के साथ न्यूनतम 70 प्रतिशत अंक होने चाहिए. भारतीय छात्रों के लिए चीन में भी NEET UG योग्यता अनिवार्य है. एडमिशन के लिए आमतौर पर 70 से 80 प्रतिशत के बीच स्कोर की आवश्यकता होती है. हालांकि ये विश्वविद्यालय के अनुसार अलग-अलग होता है . जैसे कि चीन मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिए 80 प्रतिशत की जरूरत होती है. वहीं जिलिन, डालियान और अनहुई मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिए 70 प्रतिशत मांगा जाता है. यहां मेडिकल की पढाई का खर्च 5-12 लाख रुपये आएगा.
किर्गिस्तान:
यहां एमबीबीएस कोर्स 5 साल का होता है. छात्रों को 12वीं कक्षा पूरी करने के साथ-साथ NEET UG परीक्षा पास करनी होगी. यहां 5-10 लाख रुपये की लागत आती है.
रूस:
चीन की तरह ही रूस में भी एमबीबीएस की पढ़ाई 6 साल की है. इसमें 5 साल के कोर्स के बाद एक साल की इंटर्नशिप होती है. रूसी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए NEET UG परीक्षा पास करना आवश्यक है. यहां पढने के लिए आपको 15-30 लाख रुपये खर्च करने होंगे.
स्वीडन:
भारतीय छात्र स्वीडन से भी एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए जाते हैं. यहां 6 साल का कोर्स होता है. इसमें से पांच साल का कोर्स और एक साल की इंटर्नशिप होती है. यहां एडमिशन के लिए NEET UG के साथ-साथ, छात्रों को SweSAT, IELTS या TOEFL में से एक लैंगवेज प्रोफिशिएंसी परीक्षा पास करनी होगी. यहां मेडिकल पढाई की कीमत 6-18 लाख रुपये होगी.