IPC CRPC तो बदल गए, पर दरोगाजी लगाएंगे कौन सी धाराएं, अभी समझने में लगेगा समय
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IPC CRPC तो बदल गए, पर दरोगाजी लगाएंगे कौन सी धाराएं, अभी समझने में लगेगा समय

Bharatiya Nyaya Sanhita: भारतीय दंड संहिता को अब भारतीय न्‍याय संहिता कहा जाएगा, जिसमें 358 धाराएं हैं. इसमें 20 नए अपराधों को शामिल किया गया है और 33 अपराधों में सजा की अवधि भी बढ़ा दी गई है.

IPC CRPC तो बदल गए, पर दरोगाजी लगाएंगे कौन सी धाराएं, अभी समझने में लगेगा समय

Bharatiya Nyaya Sanhita: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए तीन नए आपराधिक बिलों को मंजूरी दे दी. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब ये बिल कानून का रूप ले लेंगे. इसी के परिणामस्वरूप अब कई आपराधिक धाराओं में बदलाव देखने को मिलेंगे. हालांकि, इन धाराओं को जनता को समझने में अभी काफी समय लगेगा. कई बार लोग भविष्य में लगाई जाने वाली धाराओं को लेकर भी काफी कंफ्यूज रहेंगे. ऐसे में जरूरी है कि हम उन अहम धाराओं के बारे में समझें, जिनमें बदलाव किए गए हैं.

नए कानून में सजा की अवधि बढ़ाई गई 
दरअसल, गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता बिल, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बिल 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम बिल को पेश किया है. इसमें IPC और CrPC की कई धाराओं को बदला गया है. अब भारतीय दंड संहिता (Indian Penel Code/IPC) को भारतीय न्याय संहिता कहा जाएगा. भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं. लेकिन भारतीय न्‍याय संहिता में 358 धाराएं ही हैं. इसमें 20 नए अपराध शामिल किए गए हैं. इसके अलावा 33 अपराधों में सजा की अवधि बढ़ा दी गई है. वहीं, 83 अपराध ऐसे हैं, जिसमें जुर्माने की रकम बढ़ा दी गई है. 23 अपराधों में अनिवार्य न्‍यूनतम सजा का प्रावधान भी है. इसके अलावा 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है.

CrPC और Evidence Act में भी हुए बदलाव 
अब CrPC को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के नाम से जाना जाएगा. इसमें अब 533 धाराएं रहेंगी. 160 धाराओं को बदल दिया गया है और 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं. जबकि 9 धाराओं को निरस्त भी किया गया है.

भारतीय साक्ष्य विधेयक Evidence Act को रिप्लेस करेगा. इसमें पहले 167 धाराएं थी, जो अब बढ़ कर 170 हो गई हैं. इसके अलावा इसमें 23 धाराओं में बदलाव किए गए हैं और साथ ही 1 नई धारा जोड़ी गई है. जबकि 5 धाराएं निरस्त भी की गई हैं.

अब राजद्रोह बना देशद्रोह
अगर बात करें प्रमुख धाराओं की, जिनमें बदलाव किए गए हैं. उनमें सबसे अहम है धारा 124. दरअसल, भारतीय दंड संहिता की धारा 124 राजद्रोह के मामलों से जुड़ी हुई थी. लेकिन नए कानून में राजद्रोह को देशद्रोह में बदल दिया गया है. इसके अलावा आईपीसी की धारा 144 गैर कानूनी सभाओं में शामिल होने से जुड़ी थी. लेकिन भारतीय न्याय संहिता की धारा 187 गैरकानूनी सभाओं के बारे में बताती है. भारतीय न्‍याय संहिता के अध्‍याय 11 में इसे सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा गया है. 

अब हत्या के लिए लगेगी ये धारा
आज आप किसी गांव में रहने वाले इंसान से भी पूछेंगे कि आईपीसी की धारा 302 किस कानून से जुड़ी हुई है, तो वो आपको तुरंत बता देगा कि आईपीसी की धारा 302 हत्‍या के मामले से जुड़ी हुई है. लेकिन भारतीय न्‍याय संहिता में इस धारा को भी बदल दिया गया है. भारतीय न्‍याय संहिता में हत्या करने के मामले को धारा 101 में रखा गया है. वहीं, जहां हत्या के प्रयास का मामला आईपीसी के सेक्शन 307 में दर्ज किया जाता था, अब वह भी भारतीय न्‍याय संहिता के तहत धारा 109 में दर्ज किया जाएगा. 

रेप की धाराओं में भी हुए बदलाव 
पहले आईपीसी में किसी से रेप करने पर धारा 376 के तहत सजा का प्रावधान था. लेकिन भारतीय न्याय संहिता में इसे अध्याय 5 में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में जगह दी गई है. नए कानून में दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा को धारा 63 में परिभाषित किया गया है. वहीं सामूहिक दुष्कर्म को आईपीसी की धारा 376 डी में रखा गया था, जिसे अब नए कानून में धारा 70 में शामिल किया गया है. 

धोखाधड़ी करने पर अब नहीं लगेगी धारा 420 
इसके अलावा बात करें धोखाधड़ी या ठगी के मामलों की, तो इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के अंतर्गत रखा गया था. लेकिन नए कानून में इसे धारा 316 में रखा गया है. बता दें कि इस धारा को  भारतीय न्याय संहिता के अध्याय 17 में संपत्ति की चोरी के विरुद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा गया है.

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