Rahul Sinha BPSC Success Story: राहुल की असलियत यह थी की पढ़ाई में बहुत कमजोर थे. क्लास में 30 बच्चे थे तो पढ़ाई में पॉजिशन क्लास में सबसे आखिरी थी और जो 29 वां बच्चा क्लास में था वो बहुत ऊपर था.
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BPSC Success Story of Rahul Sinha: जब किसी के मन में कोई बात बैठ जाती है तो फिर वह उसे पूरा करने की कोशिश में रहता है. आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी बता रहे हैं. कहानी है बीपीएससी क्लियर करके सरकारी अफसर बनने वाले राहुल सिन्हा की. कलेक्टर शब्द से उनका बहुत पुराना नाता था. जब वह छोटे थे तो बहुत आलसी थे. घर के लोग कहते थे कि बहुत ही 'लाटसाहब' बन रहा है अपना काम खुद से क्यों नहीं करता है. बड़े होकर लाट साहब शब्द का मतलब पता चला. इसका मतलब होता है कलेक्टर. बस ये सफर यहीं से शुरू हो गया. एक सपना पाल लिया कि कलेक्टर बनना है.
असलियत यह थी की पढ़ाई में बहुत कमजोर थे. क्लास में 30 बच्चे थे तो पढ़ाई में पॉजिशन क्लास में सबसे आखिरी थी और जो 29 वां बच्चा क्लास में था वो बहुत ऊपर था. पिताजी बैंक में थे तो ट्रांसफर हुआ, उसके साथ ही राहुल सिन्हा का स्कूल भी बदलना था तो एक इंटरव्यू हुआ. लेकिन वह उसे क्लियर नहीं कर पाएं. पढ़ाई 10वीं क्लास तक पहुंच गई थी.
10वीं क्लास के एग्जाम के बाद रिजल्ट का दिन था. तो घर में महौल ऐसा था कि न तो खुशी का था न ही दुख का. क्योंकि राहुल पास तो हो गए थे लेकिन मार्क्स आए थे 52 फीसदी. इसके बाद उनके ऊपर मंद बुद्धि का स्टाम्प लगा दिया कि थोड़ा दिमाग से कमजोर है. सच बात तो ये थी कि पढ़ाई में इंट्रेस्ट कम था और चीजें समझ में नहीं आती थीं. वहीं 12वीं में भी ज्यादा अच्छे मार्क्स नहीं थे तो मन था कि इंजीनियरिंग करें लेकिन दोस्तों ने कहा कि IIT कैसे करोगे.
घरवालों को यकीन था उन्होंने तैयारी के लिए कोटा भेज दिया. इसके बाद उन्होंने एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया. इसके बाद बारी आई नौकरी की तो एक कंपनी में नौकीर करनी शुरू कर दी. शादी भी हो गई. फिर बीपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. इस दौरान अपनी नींद को कम किया और केवल 3-4 घंटे ही सोए. जब पढ़ाई ज्यादा करने लगे तो कॉन्फिडेंस आ गया और एग्जाम दिया तो उनका सेलेक्शन हो गया.
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