ASER 2023: 14-18 साल के ज्यादातर ग्रामीण बच्चे क्लास 3 का गणित नहीं कर सकते, 25 फीसदी से ज्यादा पढ़ नहीं सकते
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ASER 2023: 14-18 साल के ज्यादातर ग्रामीण बच्चे क्लास 3 का गणित नहीं कर सकते, 25 फीसदी से ज्यादा पढ़ नहीं सकते

ASER 2023 ने सर्वे में शामिल लोगों की बेसिक अर्थमेटिक, रीडिंग, लिखित निर्देशों को समझने और फाइ में बुनियादी अंकगणित और रीडिंग स्किल लागू करने की क्षमता का आकलन किया.

ASER 2023: 14-18 साल के ज्यादातर ग्रामीण बच्चे क्लास 3 का गणित नहीं कर सकते, 25 फीसदी से ज्यादा पढ़ नहीं सकते

ASER 2023 Report: 2023 की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में बच्चे अपनी किशोरावस्था में बेसिक स्टडी और अर्थमेटिक कौशल के साथ संघर्ष करना जारी रखते हैं, यहां तक ​​​​कि 10वीं जैसी सीनियर क्लास और शिक्षा के उच्च माध्यमिक स्तर (कक्षा 11 और 12) तक पहुंचने के बाद भी.

ग्रामीण भारत में 14 से 18 साल के आधे से ज्यादा बच्चे तीन नंबरों की सिंपल डिवीजन प्रॉबलम को सॉल्व नहीं कर सकते हैं जो आमतौर पर कक्षा 3-4 में पढ़ाई जाती है और उन्हें समय निर्धारित करने और बुनियादी गणना करने समेत रोजमर्रा के स्किल के साथ संघर्ष करना पड़ता है. एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (एएसईआर) का लेटेस्ट एडिशन जारी किया गया है.

किशोरों के बीच स्किल की भारी कमी की ओर इशारा करते हैं, उनमें से कई लोग जॉब मार्केट में एंट्री करने से केवल कुछ ही साल दूर हैं.

2023 की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में बच्चे कक्षा 10 और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा स्तर (कक्षा 11 और 12) तक पहुंचने के बाद भी बेसिक रीडिंग और मैथ्स स्किल के साथ संघर्ष कर रहे हैं.

कुल मिलाकर, 14-18 आयु वर्ग के लोगों में से एक चौथाई (26.5%) अपनी क्षेत्रीय भाषा में कक्षा 2-लेवल की किताब नहीं पढ़ सकते थे, और आधे से थोड़ा कम (42.7%) अंग्रेजी में वाक्य नहीं पढ़ सकते थे. जो लोग इन वाक्यों को पढ़ सकते हैं, उनमें से एक चौथाई से ज्यादा (26.5%) को यह समझ में नहीं आया कि वे क्या पढ़ रहे थे.

इसके अलावा, एएसईआर 2023 ने सर्वे में शामिल लोगों की बेसिक अर्थमेटिक, रीडिंग, लिखित निर्देशों को समझने और फाइ में बुनियादी अंकगणित और रीडिंग स्किल लागू करने की क्षमता का आकलन किया. चिंता की बात यह है कि उनमें से आधे से भी कम (लगभग 45%) यह गणना कर सकते हैं कि एक बच्चा रात में बिस्तर पर जाने और सुबह उठने के समय के आधार पर कितने घंटे सोया था.

एक रोजमर्रा के काम में, पैमाने से लंबाई नापने के दौरान, सर्वेक्षण में शामिल 85% लोग चीज की लंबाई सही बता सकते थे अगर उसे पैमाने के '0' पर रखा जाता था, लेकिन जब चीज को हिलाकर रूलर पर कहीं और रखा गया, तो 40% से भी कम लोग सही जवाब दे पाए. सर्वेक्षण में शामिल दो-तिहाई लोगों (65.1%) ओआरएस के पैकेट पर लिखे निर्देशों को पढ़ सके.

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