GDP: वर्ल्ड बैंक ने कहा कि साउथ एशिया में इस साल 5.8 प्रतिशत की दर से विकास होने का अनुमान है, जो दुनिया के किसी भी अन्य विकासशील देश क्षेत्र की तुलना में ज्यादा है.
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Credit Growth: वर्ल्ड बैंक (World Bank) की तरफ से भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना जताई गई है. निवेश और घरेलू मांग के दम पर भारतीय अर्थव्यवस्था के इस दर से बढ़ने का अनुमान जताया गया है. वर्ल्ड बैंक की तरफ से मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल की पृष्ठभूमि में भारत लगातार लचीलापन दिखा रहा है. वर्ल्ड बैंक की भारत की वृद्धि से जुड़ी अपडेटेड जानकारी के अनुसार, भारत दक्षिण एशिया क्षेत्र का बड़ा हिस्सा है और वहां 2023-24 में वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
वैश्विक महामारी से पहले की गति से धीमी
महंगाई पर जारी रिपोर्ट में कहा गया कि खाद्य पदार्थों की कीमतें सामान्य होने और सरकारी कदमों से प्रमुख वस्तुओं की आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलने से इसके धीरे-धीरे कम होने की उम्मीद है. वर्ल्ड बैंक ने कहा कि साउथ एशिया में इस साल 5.8 प्रतिशत की दर से विकास होने का अनुमान है, जो दुनिया के किसी भी अन्य विकासशील देश क्षेत्र की तुलना में ज्यादा है. हालांकि यह वैश्विक महामारी से पहले की गति से धीमी है और अपने विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पर्याप्त रूप से तेज नहीं है.
मजबूत सेवा निर्यात से भरपाई हो जाएगी
भारत में अपेक्षा से अधिक मजबूत आंकड़ों के कारण 2023 में विकास में 0.2 प्रतिशत अंक की वृद्धि हुई है. वर्ल्ड बैंक के उपाध्यक्ष (दक्षिण एशिया क्षेत्र) मार्टिन रायसर ने कहा, 'पहली नजर में दक्षिण एशिया वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक उज्ज्वल स्थान है. विश्व बैंक का अनुमान है कि यह क्षेत्र अगले कुछ सालों में किसी भी अन्य विकासशील देश की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ेगा.' कमजोर विदेशी मांग को देखते हुए माल निर्यात की वृद्धि धीमी होने का अनुमान है, हालांकि मजबूत सेवा निर्यात से इसकी भरपाई हो जाएगी.
सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शामिल
विश्व बैंक (World Bank) की तरफ से इंडिया डेवलपमेंट अपडेट (India Development Update-2023) रिपोर्ट में कहा गया कि वित्त वर्ष-2022-23 में भारत दुनिया में तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यस्थाओं में से एक था. G20 देशों में भारत विकास दर के मामले में दूसरे पायदान पर था. इसकी वृद्धि उभरते आर्थिक बाजारों के औसत से दोगुनी तेज रही. इसके पीछे मजबूत घरेलू मांग, मजबूत पब्लिक इंफ्रा निवेश और लगातार मजबूत होता फाइनेंशियल सेक्टर रहा. (इनपुट-भाषा)