पिछले तीन कारोबारी सत्र में सेंसेक्स करीब 1400 अंक टूट गया है. शेयर बाजार के जानकारों के अनुसार शेयर बाजार में लगातार आ रही इस गिरावट के कुछ प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं.
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Stock Market Today: सितंबर के आखिर में फेड रिजर्व की मीटिंग शुरू होने से पहले अनिश्चितता के चलते ग्लोबल मार्केट के साथ भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखी जा रही है. लगातार तीसरे दिन बाजार में आज बड़ी गिरावट देखी गई. हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन सेंसेक्स सुबह में 82,171 अंक पर खुला. लेकिन बाद में यह 1000 अंक से भी ज्यादा टूटकर 81,145 अंक पर आ गया. इसी तरह निफ्टी सूचकांक गिरकर 24,839 तक चला गया.
निफ्टी सूचकांक 300 अंक से ज्यादा गिर गया
एक दिन पहले 25,145 अंक पर बंद होने वाला निफ्टी सूचकांक 300 अंक से ज्यादा गिर गया. फेड की बैठक से पहले दुनियाभर के बाजार में गिरावट देखी जा रही है. पिछले तीन कारोबारी सत्र में सेंसेक्स करीब 1400 अंक टूट गया है. शेयर बाजार के जानकारों के अनुसार शेयर बाजार में लगातार आ रही इस गिरावट के कुछ प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं. इनमें पहला अमेरिकी फेड की मीटिंग से पहले अनिश्चितता इसका प्रमुख कारण है. आइए देखते हैं बाजार में गिरावट के पांच प्रमुख कारण क्या हैं?
यूएस फेड मीटिंग
इस महीने अमेरिकी फेड की बैठक में ब्याज दर में कटौती की घोषणा पर अनिश्चितता को लेकर बाजार में गिरावट देखी जा रही है. जानकारों का कहना है कि यदि अमेरिकी फेड 25 बीपीएस की दर में कटौती की घोषणा करता है तो बाजार कटौती की घोषणा से बाजार पर कोई खास असर नहीं दिखाई देगा. लेकिन यदि ब्याज दर में 50 बीपीएस या उससे ज्यादा की कटौती की जाती है तो इससे बाजार में बूम देखने को मिल सकता है.
प्रॉफिट बुकिंग का मौका
इस हफ्ते भारतीय शेयर बाजार में बुधवार को शुरू हुई गिरावट से पहले बाजार में 14 दिन तक रैली बनी रही. इसलिए, भारतीय शेयर बाजार में जमकर खरीदारी हुई. कुछ एक्सपर्ट बाजार में चल रही बिकवाली को केवल प्रॉफिट बुकिंग के रूप में देख रहे हैं.
यूएस डॉलर में रिबाउंड
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में कमोडिटीज और करेंसी हेड अनुज गुप्ता ने कहा, पिछले हफ्ते अमेरिकी महंगाई दर में बदलाव के बाद यूएस डॉलर ने पिछले सप्ताह बुधवार को अच्छा मूल्य देखा. इससे अमेरिकी डॉलर सूचकांक 7 महीने के निचले स्तर को छूने के बाद वापस उछलने में मदद मिली, जो कि करीब 100 अंक है. अमेरिकी डॉलर सूचकांक मौजूदा 101 के करीब है, जिसका अर्थ है कि अमेरिकी डॉलर सूचकांक में पिछले तीन लगातार सत्र में करीब एक प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे विदेशी मुद्रा और ट्रेजरी व बॉन्ड में मांग बढ़ रही है.
अमेरिकी जॉब डाटा
अमेरिकी जॉब ओपनिंग जुलाई में साढ़े तीन साल के निचले स्तर पर आ गई है. इससे अमेरिकी लेबर मार्केट में गिरावट शुरू हो गई है. इससे भी ग्लोबल मार्केट में गिरावट देखी जा रही है. यही असर भारतीय शेयर बाजार पर भी देखा जा रहा है.
अमेरिका में महंगाई
अमेरिकी लेबर मार्केट में मंदी के डर से अमेरिकी महंगाई दर को नया रूप दिया है. अमेरिकी फेड को ब्याज दर में कटौती के लिए अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकता है. बाजार को डर है कि अमेरिकी फेड की दर में कटौती 25 बीपीएस से ज्यादा होने की उम्मीद कम ही है.
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