Rs 2000 रुपये के नोट पर आया चौंकाने वाला अपडेट, 6 साल में जो नहीं हुआ वो अब हो गया, पड़ा बहुत ज्यादा असर
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Rs 2000 रुपये के नोट पर आया चौंकाने वाला अपडेट, 6 साल में जो नहीं हुआ वो अब हो गया, पड़ा बहुत ज्यादा असर

Rs 2000: रिपोर्ट्स के मुताबिक 2000 रुपये के नोट को वापस लेने के ऐलान के बाद 30 जून तक 2000 रुपये के लगभग 76 प्रतिशत नोट वापस आ गए थे, जिनमें से 87 प्रतिशत जमा किए गए थे और 13 प्रतिशत बदले गए थे. इसके साथ ही वर्तमान में एफडी दरें अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं.

Rs 2000 रुपये के नोट पर आया चौंकाने वाला अपडेट, 6 साल में जो नहीं हुआ वो अब हो गया, पड़ा बहुत ज्यादा असर

2000 Note: कुछ महीने पहले 2000 रुपये को वापस लेने का ऐलान आरबीआई के जरिए किया गया था. इसके बाद आरबीआई के जरिए कहा गया था कि लोग बैंकों में अपने 2000 रुपये को जमा कर सकते हैं या फिर उन्हें बदलवा सकते हैं. इसके बाद बैंकों में लोगों ने लगातार 2000 रुपये जमा करने शुरू कर दिए. वहीं बैंकों में 2000 रुपये जमा होने के बाद बैंकों में नकदी में काफी जोरदार बढ़ोतरी देखने को मिली है.

2000 रुपये
CareEdge Rating के मुताबिक चालू पखवाड़े में बैंक जमा में सालाना आधार पर 13 फीसदी की बढ़िया वृद्धि देखने को मिली है, जो पिछले छह वर्षों में सबसे अधिक है. इसे आंशिक रूप से आरबीआई के जरिए 2000 रुपये को वापस लेने के ऐलान के बाद से समर्थन मिला है. इस बीच निरपेक्ष रूप से एक साल पहले की अवधि की तुलना में पिछले बारह महीने की अवधि में बैंक जमा में 22 ट्रिलियन रुपये की वृद्धि हुई है. मार्च 2017 के बाद से जमा वृद्धि पखवाड़े में सबसे अधिक थी.

एफडी की ब्याज दर
रिपोर्ट्स के मुताबिक 2000 रुपये के नोट को वापस लेने के ऐलान के बाद 30 जून तक 2000 रुपये के लगभग 76 प्रतिशत नोट वापस आ गए थे, जिनमें से 87 प्रतिशत जमा किए गए थे और 13 प्रतिशत बदले गए थे. इसके साथ ही वर्तमान में एफडी दरें अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं क्योंकि कुछ बैंक और गैर-वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) वार्षिक आधार पर 8.5-9.36% ब्याज दरें प्रदान कर रही हैं.

निवेशक रखें ध्यान
हालांकि निवेशकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि बैंक एफडी से रिटर्न मुद्रास्फीति से काफी कम है. अगर आप टैक्स को ध्यान में रखते हैं, तो एफडी से रिटर्न नकारात्मक हो सकता है. हालांकि, एक एफडी खाताधारक के रूप में, इस कमी को समझना महत्वपूर्ण है कि यह निवेश साधन मुद्रास्फीति को मात देने में सक्षम नहीं हो सकता है. यदि एफडी ब्याज दरें मुद्रास्फीति दर से नीचे रहती हैं तो निवेश का मूल्य कम हो जाएगा.

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