RBI Report: आरबीआई (RBI) की रिपोर्ट में कहा गया संपत्ति की क्वालिटी में सुधार हुआ है, जीएनपीए (GNPA) का रेश्यो मार्च 2024 के आखिर में 2.7 प्रतिशत और सितंबर 2024 के अंत में 2.5 प्रतिशत पर गिरकर 13 साल में सबसे कम हो गया है.
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Bank Bad Loans: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2024 के अंत तक शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों (SCB) का एनपीए (NPA) 13 साल में सबसे कम लेवल 2.5 प्रतिशत पर पहुंच गया. रिपोर्ट में कहा गया कि फाइनेंशियल ईयर 2024 में देश के कमर्शियल बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत रही, जो लोन और जमा दोनों में लगातार बढ़ोतरी से चिन्हित है. 'भारत में बैंकिंग सेक्टर की प्रवृत्ति और प्रगति 2023-24' पर आरबीआई (RBI) की रिपोर्ट में कहा गया 'संपत्ति की क्वालिटी में सुधार हुआ है, जीएनपीए (GNPA) का रेश्यो मार्च 2024 के आखिर में 2.7 प्रतिशत और सितंबर 2024 के अंत में 2.5 प्रतिशत पर गिरकर 13 साल में सबसे कम हो गया है.'
देश के बैंकिंग सेक्टर की स्थिति अच्छी हुई
वित्त मंत्रालय की सालाना समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया कि बैंकों में सुधार लागू करने की सरकार की पॉलिसी के कारण देश के बैंकिंग सेक्टर की स्थिति अच्छी हुई है. इस वजह से बैंकों के एनपीए (NPA) में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. साथ ही मुनाफा रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया है. वित्त मंत्रालय ने बताया कि शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों का ग्रॉस एनपीए मार्च 2018 के 11.18 प्रतिशत (10.36 लाख करोड़ रुपये) के रिकॉर्ड लेवल से घटकर जून 2024 में 2.67 प्रतिशत (4.75 लाख करोड़ रुपये) हो गया है.
90 दिन तक पैसा जमा नहीं करने पर एनपीए हो जाता है लोन
सरकारी क्षेत्र के बैंकों का ग्रॉस एनपीए मार्च 2018 के 14.58 प्रतिशत (8.96 लाख करोड़ रुपये) के रिकॉर्ड हाई लेवल से घटकर जून 2024 में 3.32 प्रतिशत (3.29 लाख करोड़ रुपये) हो गया. एनपीए (NPA) वह लोन है, जिसने बैंकों के लिए एक निश्चित अवधि के लिए मूल राशि पर आमदनी या ब्याज पैदा नहीं की है. अगर लोन लेने वाले व्यक्ति ने कम से कम 90 दिन तक ब्याज या मूल राशि का भुगतान नहीं किया है, तो बैंक द्वारा मूल राशि को एनपीए घोषित कर दिया जाता है.
एसेट्स क्वालिटी में काफी सुधार आया
वित्त मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि एसेट्स क्वालिटी में काफी सुधार आया है और इस कारण शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों (SCB) का प्रोविजनल कवरेज रेश्यो (PCR) जून 2024 तक सुधरकर 92.52 प्रतिशत हो गया है, जो कि मार्च 2015 में 49.31 प्रतिशत था. ठीक इसी तरह सरकारी बैंकों का पीसीआर (PCR) बढ़कर जून 2024 में 93.36 प्रतिशत हो गया है, जो मार्च 2015 में 46.04 प्रतिशत था. प्रोविजनल कवरेज रेश्यो (पीसीआर) वह रेश्यो होता है, जो कि बैंक द्वारा बैड लोन से हुए नुकसान को रिकवर करने के लिए रखा जाता है.
सभी शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 3.50 लाख करोड़ रुपये का अब तक का सबसे ज्यादा नेट प्रॉफिट दर्ज किया है, जो कि वित्त वर्ष 2022-23 में 2.63 लाख करोड़ रुपये था. सभी सरकारी बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 में अब तक का सबसे ज्यादा 1.41 लाख करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया है, जो कि वित्त वर्ष 2022-23 में 1.05 लाख करोड़ रुपये था. सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2023-24 में शेयरधारकों को 27,830 करोड़ रुपये का डिविडेंड दिया है. इसमें सरकार की हिस्सेदारी 18,013 करोड़ रुपये थी. (IANS)