PPF Scheme: पीपीएफ के जरिए लोग लॉन्ग टर्म के लिए इंवेस्टमेंट कर सकते हैं और पैसों पर अच्छा रिटर्न भी कमा सकते हैं. पीपीएफ में निवेश की जाने वाली राशि पर ब्याज हासिल होता है और केंद्र सरकार की ओर से ये पीपीएफ में ब्याज तय किया जाता है. हर तीन महीने में पीपीएफ पर दिए जाने वाले ब्याज की राशि की समीक्षा की जाती है.
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Tax Saving: सेविंग और इंवेस्टमेंट करने के कई सारे तरीके मौजूद है. इन्हीं में पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ भी शामिल है. पीपीएफ के जरिए लोग लॉन्ग टर्म के लिए इंवेस्टमेंट कर सकते हैं और पैसों पर अच्छा रिटर्न भी कमा सकते हैं. पीपीएफ में निवेश की जाने वाली राशि पर ब्याज हासिल होता है और केंद्र सरकार की ओर से ये पीपीएफ में ब्याज तय किया जाता है. हर तीन महीने में पीपीएफ पर दिए जाने वाले ब्याज की राशि की समीक्षा की जाती है. हालांकि पीपीएफ को लेकर कुछ बातों का ध्यान भी रखना चाहिए. आइए जानते हैं इसके बारे में...
सेविंग
केंद्र सरकार की ओर से पीपीएफ की स्कीम चलाई जाती है. केंद्र सरकार पब्लिक प्रोविडेंट फंड के जरिए लोगों को इंवेस्टमेंट करने और बचत करने का मौका देती है. हालांकि पीपीएफ को लेकर कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए, वरना दिक्कतों में भी पड़ सकते हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में...
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ब्याज दर
पीपीएफ में ब्याज दर स्थिर नहीं है. हर तीन महीनों में पीपीएफ की ब्याज दर की समीक्षा की जाती है. पीपीएफ की ब्याज की समीक्षा करने के बाद अगर सरकार को लगता है कि ब्याज दर में बदलाव किया जाना चाहिए तो पीपीएफ की ब्याज दर में बदलाव भी हो सकता है. ऐसे में ब्याज दर घट भी सकती है और बढ़ भी सकती है.
इनएक्टिव हो सकता है अकाउंट
इसके साथ ही एक अहम बात के बारे में भी लोगों को जानकारी होनी चाहिए. पीपीएफ में एक वित्त वर्ष में 500 रुपये का निवेश किया जाना जरूरी है. वहीं पीपीएफ अकाउंट में अधिकतम 1.5 लाख रुपये का इंवेस्टमेंट किया जा सकता है. ऐसे में अगर कोई शख्स एक वित्त वर्ष में 500 रुपये का निवेश भी पीपीएफ में नहीं कर पाता है तो पीपीएफ अकाउंट डोरमेंट/इनएक्टिव भी हो सकता है.
पड़ सकता है असर
अगर पीपीएफ अकाउंट बीच में रुक जाता है तो इसका सीधा असर पीपीएफ अकाउंट में मिलने वाले ब्याज पर लग सकता है. इसके अलावा जब पीपीएफ अकाउंट को फिर से शुरू करवाया जाएगा तो कुछ फाइन भी देना पड़ सकता है.
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