Chandubhai Virani Networth: चंदूभाई विरानी के परिवार की माली हालत सही नहीं होने के कारण उन्हें कई काम करने पड़े. उन्होंने सिनेमा हॉल की सीटों की रिपेयर की, पोस्टर चिपकाये और थिएटर में 1000 रुपये महीने पर स्नैक्स बेचना शुरू किया.
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Chandubhai Virani Success Story: मेहनत और कामयाबी का साथ पुराना है. अपने आसपास आपको ऐसे तमाम उदाहरण मिल जाएंगे जिन्होंने जीरो से सफर शुरू करके आज अपना अलग ही मुकाम बनाया है. आज हम आपको सक्सेस स्टोरी की सीरीज में एक ऐसे ही शख्स की कहानी बताएंगे जिन्होंने घर का खर्च चलाने के लिए 1000 रुपये महीने की नौकरी से लेकर थियेटर में स्नैक्स बेचने तक का काम किया. लेकिन उनकी मंजिल तो कुछ और ही थी... और उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर 5000 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर दी. यह कहानी है...बालाजी वेफर्स प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर चंदूभाई विरानी (Chandubhai Virani) की. उन्होंने अपने जीवन में शानदार तरक्की की है.
शुरुआत में आर्थिक दिक्कत का सामना करना पड़ा
चंदूभाई का पालन-पोषण गुजराती किसान परिवार में हुआ था. एग्रीकल्चर प्रोडक्ट और एग्रीकल्चर इक्युपमेंट को बेचने वाले अपने पहले बिजनेस में असफल होने के बाद उन्हें आर्थिक दिक्कत का भी सामना करना पड़ा. इस असफलता के बावजूद विरानी ने हार नहीं मानी और अपने काम में जुटे रहे. इसके बाद उनहोंने ज्यादा सोच-विचार के बाद फिर से नया बिजनेस शुरू किया. आज उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि उनके पास हजारों करोड़ वाली कंपनी है. इसका नेटवर्क देशभर में फैला हुआ है.
सीटों की रिपेयर और पोस्टर चिपकाने का काम
चंदूभाई विरानी की सफलता से एक बार फिर यह साबित होता है कि दृढ़ता, कड़ी मेहनत और उचित योजना के साथ इंसान जिंदगी की किसी भी चुनौती को आसानी से पार कर सकता है. चंदूभाई विरानी के परिवार की आर्थिक हालत भी सही नहीं थे. उन्होंने परिवार की माली हालत सुधारने के लिए कई छोटे-छोटे काम किये. उन्होंने जो काम किये उनमें सिनेमा की सीटों की रिपेयर, पोस्टर चिपकाना और थिएटर में 1000 रुपये महीने पर स्नैक्स बेचना भी शामिल है.
लोगों के पॉजिटिव रिस्पांस ने भरा जोश
परिवार का गुजारा चलाने के लिए उन्होंने इन कामों को किया लेकिन इस दौरान उन्हें अपनी धुन सवार थी. वो जो भी कर रहे थे, उससे संतुष्ट नहीं थे. उन्हें विश्वास था कि वह जो भी करेंगे बड़ा करेंगे और उन्होंने खुद का कारोबार शुरू करने का फैसला किया. सबसे पहले उन्होंने घर पर ही चिप्स बनाना शुरू किया. इस पर उन्हें लोगों से पॉजिटिव रिस्पांस मिलने लगा. लोगों से मिलने वाले फीडबैक ने उनकी हिम्मत बढ़ाई और उन्होंने कुछ बड़ा करने की ठानी.
बैंक से लिया डेढ़ लाख का लोन
इसके बाद चंदूभाई विरानी ने काम को बड़े लेवल पर शुरू करने के लिए बैंक से डेढ़ लाख रुपये का लोन लिया और 1982 में आलू के वेफर बिजनेस के लिए पहला कारखाना खोला. कारखाने की कामयाबी के बाद उन्होंने अपने भाई के साथ 1992 में बालाजी वेफर्स प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की. कंपनी की 65 लाख किलो आलू और 100 लाख किलो नमकीन उत्पादन क्षमता है. आज, बालाजी वेफर्स देश में दिग्गज स्नैक्स निर्माताओं में से एक है. आज मार्केट में इनकी कंपनी की विस्तृत रेंज मौजूद है.
बाजार की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी
आज चंदूभाई विरानी के मालिकाना हक वाली बालाजी वेफर्स एक बड़ा नाम बन गई है. 43,800 करोड़ रुपये के स्नैक्स मार्केट में कंपनी की 12 प्रतिशत की मार्केट हिस्सेदारी है. अब बालाजी वेफर्स देश की तीसरी सबसे बड़ी स्नैक्स बेचने वाली कंपनी बन गई है. इस कंपनी का पिछले साल मार्च में 5000 करोड़ रुपये का कारोबार था. कंपनी 7000 लोगों को रोजगार देती है, जिनमें से आधी महिलाएं हैं और हर घंटे 3,400 किलो चिप्स का प्रोडक्शन करती हैं.