FDI: सबसे ज्यादा करीब 25 प्रतिशत एफडीआई मॉरीशस रूट से आया है. इसके बाद सिंगापुर (24 प्रतिशत), अमेरिका (10 प्रतिशत), नीदरलैंड (सात प्रतिशत), जापान (छह प्रतिशत), ब्रिटेन (पांच प्रतिशत), यूएई (तीन प्रतिशत) और केमैन आइलैंड्स, जर्मनी और साइप्रस की हिस्सेदारी रही.
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FDI in India: भारत (India) में विदेशी निवेशक लगातार आकर्षित हो रहे हैं, एफडीआई के आंकड़ों से यही साफ हो रहा है. यही कारण है कि देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का आंकड़ा अप्रैल 2000 से सितंबर 2024 के दौरान 1,000 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया. इससे ग्लोबल लेवल पर एक सुरक्षित और प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में देश की प्रतिष्ठा को मान्यता मिलती है. उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के आंकड़ों के अनुसार इक्विटी, पुनर्निवेशित आय और अन्य पूंजी सहित एफडीआई (FDI) की कुल राशि इस दौरान 1,033.40 अरब अमेरिकी डॉलर रही.
कहां से कितना आया इन्वेस्टमेंट
इन आंकड़ों से यह साफ हो रहा है कि दुनियाभर में भारत को एक सुरक्षित और प्रमुख निवेश डेस्टिनेशन के रूप में मान्यता मिली है. आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा करीब 25 प्रतिशत एफडीआई मॉरीशस रूट से आया है. इसके बाद सिंगापुर (24 प्रतिशत), अमेरिका (10 प्रतिशत), नीदरलैंड (सात प्रतिशत), जापान (छह प्रतिशत), ब्रिटेन (पांच प्रतिशत), यूएई (तीन प्रतिशत) और केमैन आइलैंड्स, जर्मनी और साइप्रस की हिस्सेदारी रही. आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन अवधि के दौरान भारत को मॉरीशस से 177.18 अरब अमेरिकी डॉलर, सिंगापुर से 167.47 अरब अमेरिकी डॉलर और अमेरिका से 67.8 अरब अमेरिकी डॉलर मिले.
किस सेक्टर में कितना आया विदेशी निवेश?
ज्यादातर इनवेस्टमेंट सर्विस सेक्टर, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, टेलीकॉम, बिजनेस, निर्माण विकास, ऑटोमोबाइल, रसायन और दवा क्षेत्र में आया. मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अनुसार 2014 से भारत ने 667.4 अरब अमेरिकी डॉलर (2014-24) का कुल एफडीआई आया है, जो पिछले दशक (2004-14) के मुकाबले 119 प्रतिशत ज्यादा है. एक अधिकारी ने कहा कि पिछले दशक (2014-24) में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 165.1 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले दशक (2004-14) की तुलना में 69 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.
इन क्षेत्रों में एफडीआई की अनुमति नहीं
अधिकांश सेक्टर में एफडीआई को ऑटोमेटिक रूट के जरिये अनुमति दी जाती है. लेकिन टेलीकॉम, मीडिया, फार्मास्यूटिकल्स और इंश्योरेंस सेक्टर के लिए विदेशी निवेशकों को सरकार की मंजूरी की जरूरत होती है. सरकारी मंजूरी वाले मार्ग के तहत एक विदेशी निवेशक को संबंधित मंत्रालय या विभाग से पूर्व अनुमति लेनी होती है, जबकि स्वचालित मार्ग के तहत, एक विदेशी निवेशक को केवल निवेश करने के बाद आरबीआई (RBI) को जानकारी देनी होती है. फिलहाल, कुछ क्षेत्रों में एफडीआई की अनुमति नहीं है. इन क्षेत्रों में लॉटरी, जुआ और सट्टा, चिट फंड, निधि कंपनी, रियल एस्टेट बिजनेस और तंबाकू का उपयोग करके सिगार, सिगरेट और सिगारिलो बनाना शामिल है.