E-commerce कारोबार की सरकार से नई मांग, इस काम के लिए पैसा उठाने की चाहिए इजाजत
Advertisement
trendingNow11964989

E-commerce कारोबार की सरकार से नई मांग, इस काम के लिए पैसा उठाने की चाहिए इजाजत

E-commerce Business: ऑनलाइन सामान खरीद की प्रवृति में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. लोग घर बैठे ही आराम से सामान की खरीद करना पसंद कर रहे हैं. वहीं अब E-commerce कारोबार की ओर से नई मांग की गई है. आइए जानते हैं इसके बारे में...

E-commerce कारोबार की सरकार से नई मांग, इस काम के लिए पैसा उठाने की चाहिए इजाजत

FDI: विदेश व्यापार महानिदेशक संतोष कुमार सारंगी ने शुक्रवार को कहा कि ई-कॉमर्स उद्योग ने सरकार को केवल निर्यात मकसद से ऑनलाइन कारोबार के ‘इन्वेंट्री’ यानी माल भंडार आधारित मॉडल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देने का सुझाव दिया है. ‘इन्वेंट्री’आधारित मॉडल’ में ऑनलाइन कामकाज करने वाली कंपनियां स्वयं अपना सामान रखती हैं और उसे सीधे ग्राहकों को बेचती हैं. देश की मौजूदा एफडीआई नीति के तहत ई-कॉमर्स के ‘इन्वेंट्री-आधारित मॉडल’ में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति नहीं है. इसकी अनुमति केवल उन कंपनियों में है जो ‘मार्केट प्लेस’ मॉडल के माध्यम से काम कर रही हैं.

ई-कॉमर्स

सारंगी ने कहा कि सरकार ई-कॉमर्स माध्यम से निर्यात को बढ़ावा देने के लिये कई स्तरों पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स से जुड़े विभिन्न पक्षों ने उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) से इस संदर्भ में एफडीआई नीति पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया है. विदेश व्यापार महानिदेशक ने उद्योग मंडल फिक्की के ई-कॉमर्स विषय पर आयोजित सम्मेलन में कहा, ‘‘अगर निर्यात उद्देश्यों के लिये इन नियमों पर दोबारा गौर किया जा सकता है, तो हम डीपीआईआईटी से इस पर विचार करने का अनुरोध कर रहे हैं. यह ई-कॉमर्स निर्यात क्षेत्र बनाने को लेकर महत्वपूर्ण कदम हो सकता है. इस पर डीजीएफटी और उसकी टीम काम कर रही है.’’

जीएसटी व्यवस्था

उन्होंने ई-कॉमर्स माध्यम से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उठाये जा रहे कदमों के बारे में कहा कि इनमें से कई निर्यातक अनिवार्य जीएसटी व्यवस्था के अंतर्गत आते हैं. इसमें छोटे निर्यातक भी हैं. इसीलिए महानिदेशालय यह देखने के लिए राजस्व विभाग के साथ काम कर रहा है क्या छोटी कंपनियों के लिये ‘कंपोजिशन’ शुल्क योजना जैसी कोई योजना हो सकती है. ताकि निर्यात मूल्य की एक निश्चित सीमा तक इस अनिवार्य जीएसटी को माफ किया जा सके. सारंगी ने कहा, ‘‘इसी तरह ई-कॉमर्स के माध्यम से निर्यात को कई बार शुल्क वापसी या निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों में छूट (आरओडीटीईपी) अथवा राज्य और केंद्रीय करों और शुल्क में छूट (आरओएससीटीएल) जैसे लाभ नहीं मिल रहे हैं.’’

निर्यात

उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए अब हम एक्सप्रेस कार्गो मंजूरी प्रणाली (ईसीसीएस) और निर्यात के डाक बिल के साथ काम कर रहे हैं. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शिपिंग बिल का प्रवाह सीधे हो. इससे इस प्रकार के निर्यात भी छूट योजनाओं के दायरे में आ जाएं.’’ सारंगी ने कहा कि डीजीएफटी डाक विभाग के साथ भी काम कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डाक निर्यात केंद्र और विदेशी डाकघर (एफपीओ) मजबूत हों और दूर-दूर तक फैले हों. डाक विभाग का ऐसे 1,000 केंद्र खोलने का लक्ष्य है. साथ ही विभाग यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे है कि निर्यात खेप जितनी जल्दी हो, गंतव्य तक पहुंचे. उन्होंने कहा कि विभाग ई-कॉमर्स निर्यात खेपों के लिए पूर्ण ऑनलाइन निगरानी व्यवस्था प्रदान करने के लिये अमेरिका समेत अन्य देशों की डाक सेवाओं के साथ काम कर रहा है. (इनपुट: भाषा)

Trending news