Indian Economy: साल 2029 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत! लेक‍िन यह है शर्त
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Indian Economy: साल 2029 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत! लेक‍िन यह है शर्त

Indian Economy: सुब्बाराव ने कहा कि मोदी सरकार ने राज्य सब्सिडी पर एक बहस शुरू की है और सभी राजनीतिक दल स्थिति के लिए दोषी हैं. उन्होंने आगाह किया कि राज्यों और केंद्र सरकार को यह महसूस करना चाहिए कि देश के पास अतिरिक्त बजट नहीं है.

Indian Economy: साल 2029 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत! लेक‍िन यह है शर्त

Indian Economy: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव (D Subbarao) ने कहा क‍ि भारत साल 2028-29 तक पांच ट्रिलियन डॉलर (पांच हजार अरब) की अर्थव्यवस्था बन सकता है, बशर्ते अगले पांच सालों में जीडीपी लगातार 9 प्रतिशत की दर से बढ़े. रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने यह विचार व्यक्त क‍िए. आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर ‘फेडरेशन ऑफ तेलंगाना चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑन इंडिया एट द रेट आफ 75- मार्चिंग 5 ट्रिलियन इकोनॉमी’ विषय पर उन्होंने कहा कि भारत के लिए 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के सपने को हासिल करने के लिए आठ प्रमुख चुनौतियां हैं.

मोदी सरकार ने राज्य सब्सिडी पर बहस शुरू की
सुब्बाराव ने आगे कहा कि मोदी सरकार ने राज्य सब्सिडी पर एक बहस शुरू की है और सभी राजनीतिक दल स्थिति के लिए दोषी हैं. उन्होंने आगाह किया कि राज्यों और केंद्र सरकार को यह महसूस करना चाहिए कि देश के पास अतिरिक्त बजट नहीं है और निश्चित रूप से कुछ सुरक्षा उपायों की जरूरत है. सुब्बाराव ने कहा कि उन्हें सतर्क और चयनात्मक होना चाहिए कि उधार के पैसे से क्या मुफ्त दिया जाए और आने वाली पीढ़ियों पर अनावश्यक कर्ज का बोझ नहीं डाला जाना चाहिए.

देश के ल‍िए 8 प्रमुख चुनौतियां बताईं
एफटीसीसीआई की एक विज्ञप्ति में सुब्बाराव के हवाले से कहा गया है, 'भारत साल 2028-29 से पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बन सकता है. इसके लिए हमें अगले 5 वर्षों के लिए लगातार 9 प्रतिशत की वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर हासिल करने की जरूरत है. मुझे भारत के लिए आठ प्रमुख चुनौतियां दिखाई देती हैं.

क्‍या हैं ये चुनौत‍ियां
उन्होंने कहा, 'पांच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के सपने को हासिल करने के लिए हमें आठ प्रमुख चुनौतियां नजर आती हैं.' उनके अनुसार, चुनौतियों में निवेश बढ़ाना, उत्पादकता, शिक्षा और स्वास्थ्य परिणामों में सुधार, रोजगार पैदा करना, कृषि उत्पादकता बढ़ाना, व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखना, वैश्विक मेगा रुझानों का प्रबंधन और शासन में सुधार करना शामिल है.

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