हिंदू धर्म में हर त्योहार और व्रत का विशेष महत्व है. भाद्रवद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अष्टमी तिथि के दिन रात्रि में रोहिणी नक्षत्र में श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. इस बार कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर लोगों में कंफ्यूजन बना हुआ है. जहां कई जगह ये पर्व 6 सितंबर के दिन मनाए जाने की बात की जा रही है. वहीं कुछ लोग 7 सितंबर को कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे.
शास्त्रों के अनुसार श्री कृष्ण को पीताबंर के नाम से भी जाना जाता है. इसका अर्थ होता है पीले रंग का वस्त्र. मान्यता है कि श्री कृष्ण को पीला रंग बेहद प्रिय है. ऐसे में जन्माष्टमी के दिन उन्हें पीले रंग के वस्त्र जरूर पहनाएं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल का श्रृंगार करते समय उनके गले में वैजयंती माला जरूर डालें. मान्यता है कि वैजयंती माला श्री कृष्ण की प्रिय है. ऐसे में उनके बाल स्वरूप को वैजयंती माला पहनाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
लड्डू गोपाल के श्रृंगार के समय ध्यान रखें कि उन्हें सर पर पगड़ी या मुकुट पहनाया जाता है. ऐसे में उस पर मोर का पंख लगाना न भूलें. मान्यता है कि श्री कृष्ण को मोर का पंख बेहद प्रिय है.
मान्यता है कि इन सभी के साथ कान्हा जी को बांसुरी भी बेहद पसंद है. ऐसे में जन्माष्टमी के दिन उनका श्रृंगार करते समय उनके हाथ में सुंदर सी बांसुरी अवश्य पकड़ाएं. संभव हो तो ये बांसुरी सोने या चांदी की भी पकड़ा सकते हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्री कृष्ण को श्रृंगार करना बहुत पसंद था. ऐसे में श्री कृष्ण को जन्माष्टमी के दिन सोने-चांदी के कंगन, कानों में सोने, चांदी या मोती से बने कुंडल, बाजूबंद आदि अवश्य पहनाएं. इसके साथ ही, पायल, कमर बंध आदि से भी कान्हा का श्रृंगार कर सकती हैं.
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