EV Retrofitting: पेट्रोल या डीजल कारों को इलेक्ट्रिक कार में बदलने की प्रक्रिया को रेट्रोफिटिंग कहा जाता है. इस प्रक्रिया में, पेट्रोल/डीजल इंजन को हटा दिया जाता है और उसकी जगह इलेक्ट्रिक मोटर और बैटरी लगा दी जाती है.
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EV Retrofitting In Delhi: दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत (Kailash Gahlot) ने कहा कि इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी 2.0 में व्हीकल्स की ज्यादा लागत को देखते हुए ‘रेट्रोफिटिंग’ को प्रोत्साहित किया जाएगा. गहलोत ने कहा, ‘‘लोग अपने IC (आंतरिक दहन) इंजन व्हीकल को इलेक्ट्रिक व्हीकल में बदलना चाहते हैं. यह प्रक्रिया महंगी है. एक सामान्य जिप्सी में इस तरह के बदलाव में करीब 5 से 6 लाख रुपये खर्च आता है, जो काफी ज्यादा है. हम देखेंगे कि इसे कैसे प्रोत्साहित किया जाए.’’
गहलोत ने कहा कि क्योंकि नई नीति पर काम चल रहा है, इसलिए वह मौजूदा नीति को 6 महीने या नई नीति तैयार होने तक बढ़ा देंगे. उन्होंने कहा, ‘‘हम एक कैबिनेट नोट ला रहे हैं और इस सप्ताह के भीतर इसे अंतिम रूप दिया जाना चाहिए. मौजूदा नीति को छह महीने या नई नीति अधिसूचित होने तक बढ़ाया जाएगा.’’ बता दें कि दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन नीति-2020 की अवधि बीती 8 अगस्त को पूरी हो गई थी. तब सरकार ने कहा था कि इसके तहत दी जा रही सब्सिडी नई नीति अधिसूचित होने तक जारी रहेगी.
ईवी रेट्रोफिटिंग क्या है?
पेट्रोल या डीजल कारों को इलेक्ट्रिक कार में बदलने की प्रक्रिया को रेट्रोफिटिंग कहा जाता है. इस प्रक्रिया में, पेट्रोल/डीजल इंजन को हटा दिया जाता है और उसकी जगह इलेक्ट्रिक मोटर और बैटरी लगा दी जाती है. इसके अलावा, अन्य जरूरी बदलाव भी किए जाते हैं, जैसे कि पावर सिस्टम, ब्रेकिंग सिस्टम और चार्जिंग सिस्टम आदि. साथ ही, कार के एक्सटीरियर में भी कुछ बदलाव किए जा सकते हैं.
पेट्रोल/डीजल कार को इलेक्ट्रिक कार में बदलने की लागत कार की स्थिति, इलेक्ट्रिक मोटर और बैटरी की कीमत तथा इंस्टॉलेशन की लागत पर निर्भर करती है. आमतौर पर इसकी कुल लागत 2 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच में होती है. कई कंपनियां हैं, जो इस काम को कर रही है. अब दिल्ली सरकार इस पर प्रोत्साहित देने की दिशा में आगे बढ़ रही है.
(इनपुट- भाषा)