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Pitru Paksha Indications: भाद्रपद का मास में पितृ पक्ष के दौरान अपने-अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय किए जाते हैं. इस समय पितृ को तर्पण और श्राद्ध करना शुभ माना जाता है, जिससे पितृ प्रसन्न हो कर आशीर्वाद देते हैं. कई बार ऐसा होता है कि पितरों की प्रसन्नता का परिणाम हमें आम दिनचर्या में मिलने वाली कई घटनाओं से पता चलता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ के प्रसन्न रहने से व्यक्ति को हर प्रकार सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है. ऐसे में आइए ज्योतिषियों के अनुसार जानते हैं कि किन-किन संकेतों से यह पता लगाया जा सकता है कि पितृ प्रसन्न हैं
जानें कब मनाया जाता है पितृ पक्ष
पितृ पक्ष हर साल आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष से लेकर अमावस्या तक मनाया जाता है. इस दौरान गया में जाकर पितरों का पिंडदान किया जाता है. दरअसल गया में पिंडदान इसलिए किया जाता है क्योंकि त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने भी अपने पिता दशरथ का पिंडदान फल्गु नदी में किया था. तभी से ही पिंडदान का कार्य गया में ही किया जाता है.
उत्तराधिकारी पर पड़ती है कृपा
पितृ के प्रसन्न रहने पर इसका सीधा असर उत्तराधिकारी पर पड़ने वाली शुभ कृपा से पता लगाया जा सकता है. इतना ही नहीं पितृ के आशीर्वाद का असर व्यक्ति के आय और सौभाग्य में हो रही बढ़ोतरी से भी देखने को मिलता है. इसके साथ ही कारोबार और करियर में भी मनचाही अगर सफलता मिल रही है तो समझ जाए कि पितृ प्रसन्न हैं. इसके अलावा आय के भी अलग-अलग रास्ते खुलते नजर आते हैं.
परिजनों में दिखने लगता है उत्सव का माहौल
दूसरे संकेत में यदि व्यक्ति के पितृ प्रसन्न रहते हैं तो परिजनों के बीच प्यार और स्नेह देखने को मिलता है. साथ ही सभी एक दूसरे को सपोर्ट करते नजर आते हैं और मिलकर तरक्की करते हैं.
समझे कौवे के इस संकेत को
यदि पितृ प्रसन्न रहते हैं तो व्यक्ति के घर पर कौवे भोजन करने आते हैं. अगर कौवे घर की छत पर आकर बैठे और दिया गया भोजन ग्रहण करे तो समझ जाए कि पितृ आपसे प्रसन्न हैं. साथ उनकी विशेष कृपा बरसने वाली है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)