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Hanuman Ji: हनुमान जी का हर रूप है बेहद चमत्कारी, जानें किस स्वरूप की पूजा से दूर होगा कौन-सा संकट!

Hanuman Ji Puja: कलयुग में हनुमान जी ही एक ऐसे देव हैं, तो धरती पर भक्तों के बीच विद्यमान हैं. और अगर उन्हें सच्चे मन और पूरे भक्ति भाव के साथ पुकारा जाए, तो वे भक्तों की मदद के लिए अवश्य आते हैं. हनुमान जी की ढेरों रूप में से कुछ रूप ऐसे हैं, जिन्हें सच्चे दिल से पूजने पर वे संकट दूर करते हैं. आइए जानते हैं हनुमान जी के विभिन्न रूपों के बारे में. 

 

हनुमान जी की एकादश मूर्ति

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हनुमान जी की एकादश मूर्ति

शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी भगवान शिव के 11 वें अवतार हैं. पुराणों के अनुसार 11 मुख वाले कालकारमुख नामक एक भयानक बलवान राक्षस का वध करने के लिए श्री राम की आज्ञा से हनुमान जी ने एकादश रूप धारण किया था. मान्यता है कि घर में एकादशी रूप वाली हनुमान जी की मूर्ति की पूजा करने से व्यक्ति को सभी देवी-देवताओं की उपासना जितना फल मिलता है. 

हनुमान जी की पंचमुखी मूर्ति

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हनुमान जी की पंचमुखी मूर्ति

राम-लक्ष्मण को रावण से मुक्त कराने के लिए हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया था. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रावण को मारने के लिए पांचों दीपक को एक साथ बुछाना जरूरी था. इसके लिए हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार लिया था. ऐसे में घर में लगी हनुमान जी के पंचमुखी अवतार की मूर्ति व्यक्ति की सभी संकटों से रक्षा करती है.

हनुमान का सूर्यमुखी रूप

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हनुमान का सूर्यमुखी रूप

शास्त्रों के मुताबिक श्री हनुमान जी के गुरु सूर्यदेव हैं. सूर्य पूर्व दिशा से निकलते हैं और जग को प्रकाशित करते हैं. ऐसे में हनुमान जी का सूर्य मुखी अवतार ज्ञान, विद्या, ख्याति, उन्नति और सम्मान दिलाता है. इन्हें पूर्व मुखी हनुमान के नाम से भी जाना जाता है. 

वीर हनुमान जी की मूर्ति

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वीर हनुमान जी की मूर्ति

हनुमान जी की वीर हनुमान के नाम से भी जाना जाता है. हनुमान जी के इस नाम से इनकी पूजा के फलों का पता लगता है. हनुमान जी की प्रतिमा की पूजा करने से जीवन में साहस, बल, पराक्रम और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है. साथ ही, सभी कार्यों में बाधाएं दूर हो जाती हैं. 

हनुमान जी की दास मूर्ति

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हनुमान जी की दास मूर्ति

प्रभु श्री राम के दास हनुमान जी की दास मूर्ति से सफलता की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि दास हनुमान जी की आराधना से व्यक्ति के भीतर सेवा और समर्पण की भावना का विकास होता है. साथ ही, व्यक्ति की धर्म, कार्य और रिश्तों के प्रति समर्पण सेवा होने से ही सफलता मिलती है. बता दें कि इस मूर्ति में हनुमान जी प्रभु श्री राम के चरणों में बैठे हैं. 

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