सुप्रीम कोर्ट ने मई में केंद्र सरकार को आईपीसी की धारा 124ए को रद्द रखने का निर्देश दिया था और केंद्र और राज्य सरकारों से इस धारा में कोई मामला दर्ज करने से बचने को कहा था.
Trending Photos
नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र शरजील इमाम के एक आवेदन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. उसने फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में हुए सांप्रदायिक दंगों के पीछे की कथित बड़ी साजिश से संबंधित मामले में अंतरिम जमानत के लिए अर्जी दी थी. विशेष न्यायाधीश अमिताभ रावत ने इमाम और अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद मामले की सुनवाई 10 जून को मुकर्रर कर दी.
Delhi Court reserves order on Interim bail plea of Sharjeel Imam bail in sedition case
Read @ANI Story | https://t.co/DGFBQ69Thr#SharjeelImam #Sedition #UAPA pic.twitter.com/iSPELAoBTL
— ANI Digital (@ani_digital) June 6, 2022
सुप्रीम कोर्ट के हुक्म का हवाला दिया
अपने आवेदन में, इमाम ने राजद्रोह पर सुप्रीम कोर्ट के हुक्म का हवाला दिया है और दलील दी है कि निचली अदालत भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 ए (राजद्रोह) को उसकी संवैधानिकता पर आखिरी फैसला आने तक विचार नहीं कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने मई में केंद्र सरकार को आईपीसी की धारा 124ए को रद्द रखने का निर्देश दिया था और केंद्र और राज्य सरकारों से इस धारा में कोई मामला दर्ज करने से बचने को कहा था.
इमाम पर राजद्रोह का इल्जाम
इमाम पर संशोधन नागरिकता अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को लेकर सरकार के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का इल्जाम है. खासकर, दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में जिसके कारण विश्वविद्यालय के बाहर के क्षेत्र में हिंसा हुई थी. उसके खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और कड़े गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत इल्जाम लगाए गए हैं. अप्रैल 2020 में, इमाम पर राजद्रोह का इल्जाम लगाया गया था. दिल्ली पुलिस ने इल्जाम लगाया था कि उसके भाषण ने लोगों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया जिसके कारण जामिया मिलिया इस्लामिया क्षेत्र में दंगे हुए. सीएए के समर्थकों और विरोधियों के बीच झड़पों के बाद फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे.
Zee Salaam