Homosexual Marriage: समलैंगिक विवाह पर सांसद सुशील मोदी ने लिया बड़ा स्टैंड; बोले कोर्ट को करना चाहिए विचार
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Homosexual Marriage: समलैंगिक विवाह पर सांसद सुशील मोदी ने लिया बड़ा स्टैंड; बोले कोर्ट को करना चाहिए विचार

Homosexual Marriage: भारत में Homosexuality को 2018 मे एपेक्स कोर्ट ने लीगल कर दिया था. अब समलैंगिक शादी को लेकर सुशील मोदी का बयान आया है. उन्होंने कहा है कि सरकार को इस पर विचार करना चाहिए. 

Homosexual Marriage: समलैंगिक विवाह पर सांसद सुशील मोदी ने लिया बड़ा स्टैंड; बोले कोर्ट को करना चाहिए विचार

Homosexual Marriage: बीजेपी सांसद और बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने सोमवार को कहा कि समलैंगिक विवाह अस्वीकार्य हैं और कुछ वामपंथी-उदारवादी लोग और कार्यकर्ता देश के लोकाचार को बदलने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने ये बयान राज्यसभा सेशन के दौरान दिया है. इस बयान के बाद सुशील मोदी का काफी विरोध हो रहा है. लोग उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर ट्वीट कर रहे हैं.

सुशील मोदी ने Homosexual Marriage पर क्या कहा?

राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान सुशील मोदी ने कहा कि “भारत में, मुस्लिम पर्सनल लॉ या किसी भी संहिताबद्ध वैधानिक कानूनों जैसे किसी भी अलिखित कानून में समलैंगिक विवाह को न तो मान्यता दी जाती है और न ही स्वीकार किया जाता है. समलिंगी विवाह देश में व्यक्तिगत कानूनों के नाजुक संतुलन के साथ पूरी तरह तबाही मचा देगा.”

उन्होंने कहा कि इतने महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे पर दो जज फैसला नहीं कर सकते, जिस पर संसद और समाज में बड़े पैमाने पर बहस होनी चाहिए. इस दौरान उन्होंने न्यायपालिका से भी आग्रह किया है कि वह ऐसा कोई भी आदेश ना दे जो भारत की संस्कृति और मूल्यो को खिलाफ हो. इसके अलावा उन्होंने कहा है कि सरकार को इस मसले में मजबूती से बहस करनी चाहिए.

2018 में मिली थी कानूनी मान्यता

आपको बता दें 2018 में  अपेक्स कोर्ट ने homosexuality को लीगल कर दिया था. इस फैसले के बाद कोर्ट की काफी सराहना हुई थी. वहीं एक तबके ने इस का विरोध भी किया था. एक बार फिर homosexual marriage के खिलाफ आवाज उठ रहे है. देखना होगा कि कोर्ट और सरकार इसको लेकर आगे क्या करती हैं.

आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को समलैंगिक जोड़े के जरिए भारत में अपनी शादी को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है. अधिवक्ता नूपुर कुमार के जरिए दायर की गई याचिका में कहा गया है कि अदालत इसके मतलब का ऐलान करे कि एलजीबीटीक्यूआईए प्लस समुदाय से संबंधित व्यक्तियों को अपने हेटेरोसेक्सुअल काउंटरपार्ट्स के समान शादी का अधिकार है.

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