Kishanganj: सांप्रदायिक्ता से हार गई 'उर्दू', दबाव में आकर DEO ने वापस लिया फैसला
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Kishanganj: सांप्रदायिक्ता से हार गई 'उर्दू', दबाव में आकर DEO ने वापस लिया फैसला

Kishanganj Urdu Controversy: बिहार के मुस्लिम बाहुल्य किशनगंज जिला के DEO ने 30 दिसंबर को सीबीएसई से रेजिस्टर्ड प्राइवेट स्कूलों में 'उर्दू' भाषा की कक्षाएं शुरू करने का आदेश दिया था. इस आदेश के बाद बिहार की सियासत गरमा गई और सत्तारूढ़ NDA के सहयोगी दल भाजपा ने इसका विरोध शुरू कर दिया. अब डीईओ ने नासिर हुसैन ने इस आदेश को वापस ले लिया है. 

 

Kishanganj: सांप्रदायिक्ता से हार गई 'उर्दू', दबाव में आकर DEO ने  वापस लिया फैसला

Kishanganj Urdu Controversy: बिहार के किशनगंज जिला के शिक्षा पदाधिकारी (DEO) ने सीबीएसई से रेजिस्टर्ड प्राइवेट स्कूलों में 'उर्दू' भाषा की कक्षाएं शुरू करने वाले अपने आदेश को वापस ले लिया है. डीईओ नासिर हुसैन ने इस संबंध में बीते साल 30 दिसंबर को एक फरमान जारी कर सभी निजी स्कूलों में उर्दू पढ़ाने का हुक्म दिया था. DEO के  इस आदेश के बाद किशनगंज से लेकर पटना तक सियासी बहस छिड़ गई थी. भाजपा और उसके सहयोगी संगठन बजरंग दल और अन्य हिंदूवादी संगठनों ने इसे "शिक्षा का इस्लामीकरण" बताते हुए फैसला वापस लेने की मांग की थी. अब डीईओ ने सांप्रदायिक ताकतों के दबाव में आकर 72 घंटे बाद अपने आदेश को कैंसिल कर दिया.  

डीईओ ने दिया था ये आदेश 
दरअसल,  हाल ही में डिस्ट्रिक्ट डेवलेपमेंट कोऑर्डिनेशन और मॉनिटरिंग कमेटी (दिशा) की एक मीटिंग में किशनगंज के कांग्रेस MLA इजहारुल हुसैन और लोकसभा सदस्य डॉ. जावेद आजाद ने जिले के प्राइवेट स्कूलों में 'उर्दू' भाषा की पढ़ाई न होने का मुद्दा उठाया था. इसके बाद DEO ने सभी प्राइवेट स्कूलों को एक लेटर जारी कर उर्दू पढ़ाई का इंतजाम करने का निर्देश दिया था. लेटर में यह भी कहा गया था कि यह कदम जिले की अल्पसंख्यक बहुलता को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है.

बीजेपी का विरोध 
डीईओ ने अपने आदेश में  यह भी साफ किया था कि CBSE से निबंधित सभी प्राइवेट स्कूलों को उर्दू की पढ़ाई के लिए जरूरी इंतजाम करनी होगी और इसकी रिपोर्ट बिहार एजुकेशन प्रोजेक्ट ऑफिस को भेजना होगा. इस हुक्म के बाद जिले बीजेपी ने DEO के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और इस आदेश को फौरन वापस लेने की चेतावनी दी थी. 

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कांग्रेस ने अवाम की मांग पर उठाया था मुद्दा
कांग्रेस MLA इजहारुल हुसैन ने बताया था कि "अवाम की तरफ से यह मांग है कि यह मुस्लिम बाहुल्य इलाका है, इसके बावजूद यहां उर्दू की पढ़ाई नहीं होती है. माइनॉरिटी वेलफेयर डिपार्टमेंट कमेटी का मैं मेंबर हूं और हमने सरकार से मांग भी की थी कि जिस सीबीएसई मान्यता प्राप्त स्कूल में उर्दू की पढ़ाई नहीं होती है, वहां उर्दू की पढ़ाई करवाई जाए, क्योंकि सीमांचल का यह मुस्लिम बहुल है और ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि बच्चों को उर्दू पढ़ाई जाए. इसके बाद मैंने दिशा की मीटिंग में इस विषय को रखा था. "

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