Ajmer Urs: अजमेर दरगाह पर हर साल पीएम मोदी चादर भिजवाते हैं. लेकिन, इस बार हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता को इस बात से आपत्ति है. पूरी खबर पढ़ने के लिए स्क्रॉल करें.
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Ajmer Urs: अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर 813 उर्स चल रहा है. हर बार जब भी यह मौका आता है तो बॉलीवुड सेलेब्रिटीज, और दीगर नेताओं के साथ-साथ पीएम मोदी भी यहाँ मजार पर चढाने के लिए चादर भेजते हैं. लेकिन, इस बार हिंदू सेना के अध्यक्ष को इस बात से नाराजगी है. उनका कहना है कि पीएम मोदी को ऐसा नहीं करना चाहिए.
अजमेर दरगाह केस में पक्षकार और हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने पीएम मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को खत लिखा है. उन्होंने कहा है कि मामला कोर्ट में लंबित है. ऐसे में चादर नहीं भेजी जानी चाहिए. अगर पीएम मोदी खुद चादर भेजेंगे तो इन्साफ कैसे मिल पाएगा ?
उन्होंने आगे कहा कि मामला कोर्ट में लंबित है और ऐसे में पीएम मोदी को अजमेर उर्स में चादर भेजने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे केस पर प्रभाव पड़ सकता है. हिंदू सेना के चीफ विष्णु आगे लिखते हैं कि डीएम और एसपी को भी रोका जाए. वे चादर भेज रहे हैं और इससे मामले पर असर पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि तत्कालीन PM नेहरू ने मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए चादर भेजना शुरू किया था, सब जानते हैं कांग्रेस ने कैसे मुस्लिम वोट बैंक के लिए हिंदुओं और उनके मंदिरों को नजरंदाज किया, लेकिन PM मोदी से आग्रह है कि वो ऐसा ना करें.
वह आगे कहते हैं, जब कोर्ट ने हमारा केस स्वीकार किया है इससे साफ है कि हमारे पास तथ्य हैं और कोर्ट उसे मानता है. पीर बाबा ईरान के थे और उनकी दरगाह अजमेर में बनी, कोई सेंस है इस बात का. अजमेर जो पृथ्वीराज चौहान जैसे हिंदू राजा का जन्मस्थल है वहां आज एक भी मंदिर नहीं है आप सोचिए किस पैमाने पर वहां हिन्दू मंदिरों को तोडा गया होगा. पृथ्वीराज रासो में साफ लिखा है कि वो जगह हिन्दुओं के आराध्य महादेव का मंदिर था उसे तोड़ा गया और पृथ्वीराज चौहान का उल्लेख मिटा दिया गया.
बता दें, हर साल पीएम मोदी अपने लीडर के हाथों चादर भिजवाते हैं. कई बार मुख्तार अब्बास नक़वी चादर लेकर आ चुके हैं. इसके अलावा कई बॉलीवुड सेलेब्रिटी और सियासी लीडरान अजमेर दरगाह के लिए चादर भेज चुके हैं. यहां तक कि पाकिस्तान से आने वाले अक़ीदमंद यहां चादर चढ़ाते हैं.
अजमेर दरगाह पर हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दावा किया है कि यह पहले एक मंदिर हुआ करता था, इसकी एएसआई जांच हो और से हिंदुओं को वापस सौंपा जाए. इस पिटीशन के बाद काफी विवाद भी हुआ था. बता दें, संभल हिंसा के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में मस्जिदों पर दावों के मामले उठकर सामने आए है. इन दावों दिल्ली की जामा मस्जिद को भी नहीं छोड़ा है, जिसके लिए कहा गया है कि उसकी सीढ़ियों ने नीचे मूर्तियां दफ्न हैं.