President Buggy Entry: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कर्तव्य पथ से 75वें गणतंत्र दिवस की अगुवाई की. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने 26 जनवरी की परेड में चीफ गेस्ट के तौर पर शिरकत की. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ फ्रांस के राष्ट्रपति पारंपरिक बग्गी में परेड स्थल पर पहुंचे.
Trending Photos
Republic Day Parade: पूरे देश में रिपब्लिक डे बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कर्तव्य पथ से 75वें गणतंत्र दिवस की अगुवाई की. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने 26 जनवरी की परेड में चीफ गेस्ट के तौर पर शिरकत की. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ फ्रांस के राष्ट्रपति पारंपरिक बग्गी में परेड स्थल पर पहुंचे. पारंपरिक बग्गी में आने की रिवायत 40 बरसों के अंतराल के बाद इस साल फिर शुरू की गई है. परेड में भारत की समृद्ध बढ़ती नारी शक्ति को दिखाया गया. तीनों सेनाओं का महिला दस्ता देश के इस सबसे बड़े समारोह में पहली बार शामिल हुआ. महिलाओं की त्रि-सेवा टुकड़ी लोगों के लिए तवज्जे का केंद्र बनी. परेड की शुरुआत महिला कलाकारों ने शंख, नादस्वरम, नगाड़ा आदि बजाते हुए मधुर संगीत के साथ की.
'विकसित भारत' और 'भारत-लोकतंत्र की मातृका'- दोनों विषयों पर आधारित इस साल की परेड में तकरीबन 13,000 खास मेहमानों ने हिस्सा लिया. गणतंत्र दिवस समारोह, पीएम नरेंद्र मोदी के नेशनल वॉर मेमोरियल पर पहुंचने के साथ शुरू हुआ, जहां उन्होंने शहीद नायकों को खिराजे अकीदत पेश किया. रिवायत के मुताबिक, सबसे पहले तिरंगा लहराया गया. इसके बाद राष्ट्रगान और स्वदेशी बंदूक प्रणाली 105-एमएम इंडियन फील्ड गन के साथ 21 तोपों की सलामी दी गई. फिर 105 हेलीकॉप्टर यूनिट के चार एमआई-17 IV हेलीकॉप्टर ने कर्तव्य पथ पर मौजूद दर्शकों पर फूलों की बारिश की.
राष्ट्रपति की सलामी लेने के साथ परेड शुरू हुई. सर्वोच्च वीरता पुरस्कारों के सम्मानित विजेताओं में परमवीर चक्र विजेता भी शामिल रहे. कार्तव्य पथ, फ्रांसीसी सशस्त्र बलों के ज्वाइंट बैंड और मार्चिंग दल के मार्च पास्ट का गवाह बना. 30 मेंबर्स के बैंड टीम की अगुवाई कैप्टन खुरदा ने की. इसके बाद 90 सदस्यीय फ्रांसीसी मार्चिंग दल आया. एक मल्टी-रोल टैंकर परिवहन विमान और फ्रांसीसी वायु तथा अंतरिक्ष बल के दो राफेल फाइट जेटो ने सलामी मंच से आगे बढ़ते समय टुकड़ियों के ऊपर उड़ान भरी. सेना के मार्चिंग दल में मैकेनाइज्ड कॉलम का नेतृत्व करने वाली पहली सेना टुकड़ी 61 कैवेलरी की थी. इसकी अगुवाई मेजर यशदीप अहलावत ने की.