कांग्रेस के नए सद्र खड़गे ने किया मौलाना अबुल कलाम को याद, अम्बेडकर को दी ख़िराजे अक़ीदत
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कांग्रेस के नए सद्र खड़गे ने किया मौलाना अबुल कलाम को याद, अम्बेडकर को दी ख़िराजे अक़ीदत

Mallikarjun Kharge: कांग्रेस के सद्र मल्लिकार्जुन खड़गे ने (Mallikarjun Kharge) मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ( Maulana Abul Kalam Azad) के मज़ार पर जाकर उन्हें ख़िराजे अक़ीदत पेश किया.

कांग्रेस के नए सद्र खड़गे ने किया मौलाना अबुल कलाम को याद, अम्बेडकर को दी ख़िराजे अक़ीदत

Mallikarjun Kharge: कांग्रेस के सद्र मल्लिकार्जुन खड़गे ने (Mallikarjun Kharge) मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ( Maulana Abul Kalam Azad) के मज़ार पर जाकर ख़िराजे अक़ीदत पेश किया इसके बाद वे डॉ. अम्बेडकर (Dr. Ambedkar) राष्ट्रीय स्मारक पर पहुंचे जहां उन्होंने बाबा साहेब को गुलहाए अक़ीदत पेश किया. ख़िराजे अक़ीदत (श्रद्धांजलि) पेश करने के बाद खड़गे ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, "मैं उन लोगों को ख़िराजे अक़ीदत देने आया हूं जिन्होंने समाज, देश की आज़ादी, ख़ास तौर से समाजी यक्सानियत (समानता) के लिए लड़ाई लड़ी, ताकि आने वाले दिन रोशन और क़ौमी मफाद के हक़ में हों".

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मौलाना अबुल कलाम आज़ाद- बाबा साहब को पेश किया ख़िराजे अक़ीदत 
कांग्रेस सद्र बनने के बाद पहली बार मल्लिकार्जुन खड़गे मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के मज़ार पर ख़िराजे अक़ीदत पेश करने पहुंचे. इसके बाद खड़गे डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक पहुंचे और डॉ. अम्बेडकर को गुलहाए अक़ीदत (श्रद्धासुमन) पेश किया. इस मौके पर कांग्रेस के सद्र मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने ख़्यालात का इज़हार करते हुए कहा कि "जिन लोगों ने देश की आज़ादी के लिए हुई जंग में हिस्सा लिया और देश के लिए लड़े, उन सबके एहतेराम में मैं यहां आकर उन सबका दीदार करने जा रहा हूं ताकि आने वाले दिन अच्छे, बेहतर और मुल्क के लिए फायदेमंद साबित हों".

खड़गे के सामने हैं कई चुनौतियां
बता दें कि मल्लिकार्जुन खड़गे ने 26 अक्टूबर को कांग्रेस सद्र का चार्ज संभाल लिया हैं. कुछ दिन पहले ही उन्हें दिल्‍ली के एआईसीसी हेडक्वार्टर में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और सीनियर लीडरान की मौजूदगी में  मल्लिकार्जुन खड़गे ने ओहदा संभाला. कांग्रेस चीफ़ का ओहदा संभालने के बाद उनके सामने कई बड़े चैलेंजिस है. सबसे पहले पार्टी को मज़बूत करना एक बड़ा और अहम चैलेंज है. साथ ही खड़गे को सबको साथ लेकर चलने की अपनी इमेज को बऱकरार भी रखना है. कई रियासतों में चुनाव होने वाले हैं, जिसके लिए उन्हें काफी अहम क़दम  उठाने की ज़रूरत है.

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