आज ही के दिन अंतरिक्ष की यात्रा पर निकली थीं भारत की बेटी कल्पना चावला, फिर कभी वापस नहीं लौटी.
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आज ही के दिन अंतरिक्ष की यात्रा पर निकली थीं भारत की बेटी कल्पना चावला, फिर कभी वापस नहीं लौटी.

देश-दुनिया के इतिहास में 16 जनवरी का दिन बहुत ही खास घटनाओं को लेकर दर्ज है. हिंदुस्तानी इतिहास की ऐसी ही एक खास घटना है कल्पना चावला का दूसरी बार अंतरिक्ष यात्रा के लिए उड़ान भरना.  दरअसल आज ही के दिन हिंदुस्तानी मूल की अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला ने दूसरी बार अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी.  

आज ही के दिन अंतरिक्ष की यात्रा पर निकली थीं भारत की बेटी कल्पना चावला, फिर कभी वापस नहीं लौटी.

हिंदुस्तान के इतिहास में 16 जनवरी की तारीख देश की एक बेटी के उसके उल्लेखनीय उपलब्धि का साक्षी है. वो बेटी जिसने अमेरिका जाकर अंतरिक्ष यात्री बनने के अपने सपने को पूरा किया. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने उन्हें दो बार अंतरिक्ष यात्रा के लिए चुना.  कल्पना चावला ने 16 जनवरी 2003 को स्पेस शटल कोलंबिया से अंतरिक्ष में दूसरी बार उड़ान भरी. हालांकि उनकी यह उड़ान अंतिम साबित हुई, क्योंकि 16 दिन के अंतरिक्ष मिशन के बाद पृथ्वी पर लौटते हुए एक फरवरी को उनका यान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और चालक दल के अन्य छह सदस्यों के साथ उनकी मौत हो गई.

 कल्पना चावला के बारे में  
कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली पहली महिला अंतरिक्ष यात्री हैं. उन्होंने एक बार नहीं बल्कि दो बार अंतरिक्ष की सैर की है, हालांकि दूसरी बार वापस धरती पर जिंदा नहीं आ सकीं.
हिंदुस्तानी मूल की इस बेटी का जन्म  17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था.  उनके माता-पिता का नाम बनारसी लाल चावला और संजयोती चावला था. कल्पना की शुरुआती शिक्षा करनाल  से हुई.  कल्पना का बचपन से ही पसंदीदा विषय विज्ञान रहा था.  वह एक फ्लाइट इंजीनियर बनना चाहती थीं. इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए कल्पना ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया और एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इसके बाद वो आगे की पढ़ाई के लिए महज 20 साल की उम्र में अमेरिका चली गईं. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में कल्पना ने दाखिला लिया और दो साल की पढ़ाई के बाद एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की. इसके बाद साल 1986 में दूसरी मास्टर्स डिग्री हासिल की.  बाद में 1988 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में ही पीएचडी भी कर लिया. कल्पना के पास कमर्शियल पायलट का लाइसेंस भी था और कल्पना एक सर्टिफाइड फ्लाइट इंस्ट्रक्टर बन चुकी थीं.  इसके बाद उन्होंने फ्रांस के जान पियरे से शादी कर ली, जो खुद एक फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर थे. कल्पना चावला का पाकिस्तान से भी गहरा नाता था.

नासा ने कल्पना को किया था रिजेक्ट
साल 1993 में जब कल्पना चावला ने पहली बार नासा के लिए अप्लाई किया तो उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था. फिर 1995 में नासा ने कल्पना को अंतरिक्ष यात्री के तौर पर चुना.  उनकी ट्रेनिंग शुरू हुई और 1998 में अंतरिक्ष की पहली उड़ान के लिए कल्पना चावला को चुना गया.

अंतरिक्ष के लिए पहली उड़ान
कल्पना चावला ने  1995 में नासा एस्ट्रोनॉट कोर्प ज्वाइन किया था और  उन्हें 1996 में पहली अंतरिक्ष उड़ान के लिए चुना गया. इसके बाद कल्पना चावला ने एक मिशन स्पेशलिस्ट और प्राइमरी रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के रूप में पहली बार 1997 में आउटर स्पेश के लिए उड़ान भरी थी.उन्होंने पृथ्वी की 252 कक्षाओं (orbits) में 10.4 मिलियन मील से अधिक की यात्रा की.  कल्पना चावला ने अपनी इस उड़ान में टोटल 372 घंटे अंतरिक्ष में बिताये थे.

दूसरी उड़ान में जिंदगी हार गईं कल्पना
अंतरिक्ष पर जाने वाली पहली उड़ान सफल होने के बाद साल 2000 में दूसरी स्पेस यात्रा के लिए कल्पना को चुना गया. हालांकि इस मिशन में  तीन साल की देरी हुई और साल 2003 में फिर इसे लांच किया गया.  16 जनवरी 2003 को कोलंबिया फ्लाइट STS 107 से कल्पना ने अपने सहयोगियों के साथ अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी. लेकिन अफसोस 1 फरवरी 2003 को कल्पना का अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूट गया. इस दुर्घटना में मिशन में शामिल सातों लोगों की मौत हो गई, जिसमें कल्पना चावला भी शामिल थीं.

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