Shafa ur Rehman custody parole: अदालत ने 2020 के दंगों के आरोपी शफा उर रहमान को 30 जनवरी से 5 फरवरी तक रोजाना 12 घंटे के लिए पुलिस सुरक्षा में रिहा करने का निर्देश दिया गया. रहमान को ओवैसी की नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में ओखला निर्वाचन क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है.
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Shafa ur Rehman custody parole: दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के मुलजिम शफा उर रहमान को आगामी दिल्ली राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने और प्रचार करने के लिए पांच दिन की कस्टडी पैरोल दी. कस्टडी पैरोल में एक कैदी को सशस्त्र पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में कुछ घंटों के लिए जेल से बाहर आने की इज़ाज़त दी जाती है. शफा उर रहमान से पहले कोर्ट ने AIMIM के उमीदवार और दिल्ली दंगों के मुलजिम ताहिर हुसैन को भी एक दिन पहले ही कस्टडी पैरोल दी थी. असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में ओखला निर्वाचन क्षेत्र से रहमान को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, जहाँ से AAP के उमीदवार अम्नातुल्लाह खान को कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद की जा रही है.
गौरतलब है कि रहमान को सुरक्षा खर्च के लिए 2.07 लाख रुपये जमा करने पर 30 जनवरी से 5 फरवरी तक रोजाना 12 घंटे के लिए पुलिस सुरक्षा में रिहा करने का निर्देश दिया गया. ताहिर हुसैन को भी 6 दिनों की इस तारक की पेरोल वाली ज़मानत के लिए लगभग 14 लाख रुपए जमा करने के आदेश दिए गए हैं. हालांकि, अदालत ने रहमान को अपने भाषणों या प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने लंबित मामलों पर टिप्पणी करने से परहेज करने को कहा है. इसने रहमान को अपने जामिया नगर स्थित घर में रहने, पार्टी कार्यालय जाने, बैठकों में हिस्सा लेने, दस्तावेजों पर दस्तखत करने और अपने चुनावी मुहिम प्रबंधकों और वकीलों से मिलने की इज़ाज़त दी है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी चार सप्ताह के लिए मांगी गयी रहमान की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. याचिका में कहा गया था कि एआईएमआईएम (AIMIM) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे रहमान को आगामी चुनावों के लिए प्रचार करना बेहद ज़रूरी है. विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने दलील दी थी कि चुनावों के लिए प्रचार करना राहत देने का गलत आधार था और रहमान को सिर्फ कस्टडी पैरोल पर रिहा किया जा सकता है. अदालत ने कहा, "हालांकि मौजूदा मामला और वह मामला जिसमें दिल्ली दंगों के सह-आरोपी मोहम्मद ताहिर हुसैन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा हिरासत में पैरोल दी गई है, दोनों बिल्कुल अलग हैं. फिर भी जब सुप्रीम कोर्ट ने सह-आरोपी की अंतरिम जमानत को खारिज करते हुए उसे सिर्फ हिरासत में पैरोल दी है, तो इस अदालत को भी उसी का पालन करना चाहिए."
शफा उर रहमान और कई दीगर अफराद पर फरवरी 2020 के दंगों के पीछे "बड़ी साजिश" के कथित "मास्टरमाइंड" होने के लिए आईपीसी के अलावा कड़े यूएपीए प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था,. इस दंगे में 53 लोग मारे गए थे और 700 से जयादा ज़ख़्मी हुए थे. इस मामले में ताहिर हुसैन भी आरोपी हैं.