सीरिया में तहखाने में मिली 26 लोगों की लाशें; बशर सरकार पर जुल्म करने का लगा इल्जाम
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सीरिया में तहखाने में मिली 26 लोगों की लाशें; बशर सरकार पर जुल्म करने का लगा इल्जाम

Syria News: सीरिया में एक जगह 26 से ज्यादा लोगों की लाशें मिली हैं. अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये लोग बशर-अल-असद की सरकार के जुल्म के शिकार हैं. इससे पहले भी बशर सरकार पर अपने लोगों पर जुल्म करने की खबरें सामने आई हैं.

 सीरिया में तहखाने में मिली 26 लोगों की लाशें; बशर सरकार पर जुल्म करने का लगा इल्जाम

Syria News: सीरिया में पिछले साल दिसंबर महिने में एचटीएस लड़ाको ने सरकार की बागडोर अपने होथों में ली. इसके बाद सीरिया के राष्ट्रपति बशर-अल-असद को देश छोड़ कर भागना पड़ा था. असद सरकार पर इल्जाम लगते रहे हैं कि वह अपने मुखालिफों पर जुल्म करते और यहां तक कि उसे बेरहमी से मरवा देते थे. अब सीरिया से एक रूह कंपा देने वाली खबर सामने आई है. खबर है कि सीरिया की राजधानी दमिश्क के एक गांव में दो अलग-अलग तहखाने मिले हैं. दावा है कि इन दोनों तहखाने में कम से कम 26 लाशें बरामद हुई हैं. बताया जा रहा है कि इन सभी को असद सरकार के इशारों पर जेल में मौत के घाट उतारा गया था.

सीरिया की राजधानी दमिश्क के गांव में नागरिक सुरक्षा कार्यकर्ताओं की तरफ से दो तहखानों से 26 से ज्यादा लोगों की लाशें बरामद की गईं हैं. ऐसा माना जा रहा है कि ये लाशें पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार में कथित जुल्म से पीड़ित लोगों की हैं. कई देश बसर अल असद को डिक्टेटर मानती हैं. हालांकि, अब सीरिया में उनकी सरकार नहीं है. उन्होंने किसी दूसरे देश में पनाह ली है.

दिसंबर के महीने में जब HTS ने सीरिया को अपने हाथो में लेना शुरू किया था, उसी वक्त से सीरिया की जेलों की तस्वीरें सामने आने लगीं थीं. मीडिया में कुछ खास जेलों की भी खबरें सामने आईं थीं, जहां असद सरकार के मुखालिफों को जान से मारा जाता था. असद के कथिद जुल्म का शिकार महिला, पुरुष और बच्चे भी हुए.

सीरिया के स्वयंसेवी नागरिक सुरक्षा समूह व्हाइट हेलमेट्स के सदस्य ने सबनेह कस्बे में दो संपत्तियों के तहखानों से इन टूटे-फूटे, जले हुए कंकालों को बाहर निकाला. सुरक्षा सूट पहने इन कार्यकर्ताओं ने हर शव की पहचान की और कोडिंग के बाद लाशों को बैग में डालकर, ट्रकों के जरिए फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया.

व्हाइट हेलमेट्स के बचावकर्मी अबेद अल-रहमान मव्वास ने समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (एपी) को बताया कि 28 नवंबर के बाद से संगठन ने 780 से ज्यादा लाशों का पता लगाया है. इनमें से ज्यादातर की पहचान नहीं हो सकी है. कुछ लाशें कच्ची कब्रों में थीं, जिनका पता नजदिकी लोगों या जानवरों के खोदने पर लगी. लाशों को फॉरेंसिक एक्सपर्ट के पास भेजा गया है, ताकि उनकी पहचान और मौत का वक्त, वजह का पता लगाया जा सके. इन सब प्रक्रियाओं के बाद शवों को उनके परिवारों को सौंप दिया जाएगा.

वहां के रहने वाले मोहम्मद अल-हेराफे ने राष्ट्रपति असद पर इल्जाम लगाते हुए मीडिया को बताया कि 2016 में जब वह अपने परिवार के साथ वापस आए, तब घर में सड़ती लाशों की बदबू भरी हुई थी. उन्हें तहखाने में शव मिले, लेकिन उन्होंने कहा, "हम जानते थे कि यह सरकार का ही किया हुआ था, इसलिए कुछ नहीं कह सके."

असद सरकार पर यह इल्जाम लगते रहे हैं कि उन्होंने हवाई हमले, फांसी और सामूहिक गिरफ्तारियां कर अपनी सत्ता को बनाए रखा और मुखालिफों का दमन किया. एक अन्य तहखाने से शव निकालने वाले अम्मार अल-सलमो ने कहा कि शवों की पहचान के लिए विस्तृत जांच की जरूरत होगी. वहीं के रहने वाले मोहम्मद शिबत ने मीडिया को बताया कि उन्होंने 2012 में अपना इलाका छोड़ा और 2020 में लौटे, तब उन्हें और उनके पड़ोसियों ने शवों की जानकारी दी, लेकिन किसी ने कार्रवाई नहीं की.

संयुक्त राष्ट्र सीरिया जांच आयोग की सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि सामूहिक कब्रों के फॉरेंसिक विश्लेषण से लापता लोगों की सच्चाई सामने आ सकती है. संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट 2000 से ज्यादा गवाहों और 550 से ज्यादा ऐसे लोग के आधार पर बनी है जो असद के जुल्म झेल चुके हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह से असद अपने मुखालिफों पर जुल्म करते थे, और जेलो में बंद विरोधियों को बिजली के झटके, जलाने, नाखून उखाड़ने, बलात्कार, मानसिक और शारीरिक यातनाएं दे कर मारते थे.

असद सरकार के आठ दिसंबर को पतन के बाद, सैकड़ों परिवार अपने प्रियजनों को ढूंढने के लिए जेलों और मुर्दाघरों में भटक रहे हैं. हालांकि, कई लोग सालों बाद रिहा हुए, लेकिन हजारों अब भी लापता हैं.

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