नन्हीं हीराबेन के सिर से उठ गया था मां का साया; चेहरा, ममता, गोद कुछ भी याद नहीं
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नन्हीं हीराबेन के सिर से उठ गया था मां का साया; चेहरा, ममता, गोद कुछ भी याद नहीं

Hiraben Modi Mother: पीएम मोदी की मां का देहांत हो गया है. इस मौके पर हम आपको हीराबेन मोदी की जिंदगी की जिद्दोजहद बताने जा रहे हैं. जिसमें उन्होंने बहुत संघर्ष किया.

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Pm Modi Mother Death: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. उन्होंने 100 वर्ष की उम्र में उन्होंने अहमदाबाद के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली. पीएम मोदी ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी और ट्वीट में लिखा,"शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम... मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है."

इस मौके पर हम आपको प्रधानमंत्री मोदी की मां की मां के बारे में बताने जा रहे हैं. क्योंकि हीराबेन मोदी को उनकी मां का प्यार नहीं मिला. हीराबेन मोदी की मां एक महामारी में इस दुनिया अलविदा कह गई थी. अपनी मां के बारे में लिखते हुए पीएम मोदी ने एक ब्लॉग में अपनी भावनाएं जाहिर की थी. पीएम के इस ब्लॉग को लोगों ने बहुत पसंद किया था. हालांकि यह ब्लॉग काफी बड़ा है, लेकिन उस ब्लॉग से हम आपको एक छोटा सा हिस्सा पढ़वाने जा रहे हैं.

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दरअसल पीएम मोदी ने ब्लॉग में लिखा था,"मेरी मां का जन्म, मेहसाणा जिले के विसनगर में हुआ था. वडनगर से ये बहुत दूर नहीं है. मेरी मां को अपनी मां यानि मेरी नानी का प्यार नसीब नहीं हुआ था. एक शताब्दी पहले आई वैश्विक महामारी का असर तब बहुत वर्षों तक रहा था. उसी महामारी ने मेरी नानी को भी मेरी मां से छीन लिया था. मां तब कुछ ही दिनों की रही होंगी. उन्हें मेरी नानी का चेहरा, उनकी गोद कुछ भी याद नहीं है. आप सोचिए, मेरी मां का बचपन मां के बिना ही बीता, वो अपनी मां से जिद नहीं कर पाईं, उनके आंचल में सिर नहीं छिपा पाईं. मां को अक्षर ज्ञान भी नसीब नहीं हुआ, उन्होंने स्कूल का दरवाजा भी नहीं देखा. उन्होंने देखी तो सिर्फ गरीबी और घर में हर तरफ अभाव.

पीएम मोदी आगे लिखते हैं,"बचपन के संघर्षों ने मेरी मां को उम्र से बहुत पहले बड़ा कर दिया था. वो अपने परिवार में सबसे बड़ी थीं और जब शादी हुई तो भी सबसे बड़ी बहू बनीं. बचपन में जिस तरह वो अपने घर में सभी की चिंता करती थीं, सभी का ध्यान रखती थीं, सारे कामकाज की जिम्मेदारी उठाती थीं, वैसे ही जिम्मेदारियां उन्हें ससुराल में उठानी पड़ीं. इन जिम्मेदारियों के बीच, इन परेशानियों के बीच, मां हमेशा शांत मन से, हर स्थिति में परिवार को संभाले रहीं.

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