पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को पिछले साल बैन कर दिया गया है. लेकिन इनके सदस्यों पर अभी भी कार्रवाई जारी है. झारखंड के पाकुड़ जिले से ताल्लुक रखने वाले जिला परिषद सदस्य हंजला शेख को एक मामले में सजा हुई है.
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प्रतिबंधित संगठन PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) से संबंध रखने और अशांति फैलाने के आरोप में झारखंड के पाकुड़ जिले के जिला परिषद सदस्य हंजला शेख को कोर्ट ने तीन साल सश्रम कारावास और दस हजार जुर्माने की सजा सुनाई है. हालांकि, अदालत ने उनकी जमानत अर्जी स्वीकार कर ली है.
अशांति फैलाने का आरोप
पाकुड़ के अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी निर्मल कुमार भारती ने हंजला शेख को क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट की धारा 17(1) और धारा 17 (2) के अंतर्गत दोषी पाया है. उनके खिलाफ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से संबंध रखने और जिले में अशांति फैलाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी.
12 गवाह हुए पेश
अभियोजन की तरफ से कुल 12 गवाहों की गवाही पेश की गई. गवाही और साक्ष्य के आधार पर उन्हें दोषी करार दिया गया. नियमों के अनुसार आपराधिक मामले में सजा के कारण हंजला शेख की जिला परिषद सदस्यता खत्म कर दी जाएगी.
क्या है PFI
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को 17 फरवरी साल 2007 बनाया गया था. बताया जाता है कि ये संगठन दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बना था. इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल थे. PFI देश के 23 राज्यों में सक्रिय था. देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी (SIMI) पर बैन लगने के बाद यह बना.
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सरकार ने किया बैन
सितंबर साल 2022 में सरकार ने PFI को 5 साल के लिए बैन कर दिया है. PFI से जुड़े 8 संगठनों ने प्रतिबंध लगा दिया है. बताया जाता है कि कई राज्यों ने इसे बैन करने की मांग की थी. संगठन के बैन होने से पहले पूरे देश में केंद्रीय जांच एजेंसी NIA ने छापेमारी की थी. इस दौरान PFI से जुड़े सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
इन संगठनों पर लगा बैन
PFI के जिन सहयोगी सहयोगी संगठनों को बैन किया गया है उसमें रिहैब इंडिया फाउंडेशन (FIF), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC), नेशनल कॉन्फेडेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NHRO), नेशनल वीमेन फ्रंट (NWF), जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन शामिल हैं.
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