कश्मीर के मुस्लिम कुम्हार धार्मिक सद्भाव और सांप्रदायिक एकता का दिल छू लेने वाला प्रदर्शन करते हुए आगामी हिंदू त्योहार दिवाली के लिए पारंपरिक मिट्टी के दीये तैयार करते हैं.
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हम अक्सर त्योहारों को मजहब की बंदिशों में बांध देते हैं, लेकिन हकीकत ये है कि त्योहार किसी भी मज़हब से ऊपर उठ कर हमारी सांस्कृतिक पहचान होती है. वास्तविक रूप में देखें तो हमारे सभी त्योहार साम्प्रदायिक न हो कर हमारी भौगोलिक और सांस्कृतिक पहचान है, जो सभी मजहबों और जातिवाद की दीवारों को तोड़ते हैं. त्योहारों को केवल एक मजहब की सीमाओं में रखकर हम खुद को जंजीरो में बांध देते हैं. मगर आज भी हमारे बीच कुछ ऐसे लोग मौजूद हैं' जो इस धर्म की जंजीरो से मुक्त हैं, और देश में एकता और भाई चारे की नयी कहानी लिखते हैं.
दिवाली के त्योहार पर जहां पूरा देश दीपकों से जगमगाता है, वहीँ आपको ये जानकर बेहद हैरानी होगी की ऐसे हजारों दीये एक कश्मीरी मुसालमन परिवार द्वारा बनाए जा रहे हैं. दिवाली से कई हफ्तों पूर्व श्रीनगर का कुम्हार परिवार दिवाली के लिए मिटटी के दिए बनाने में जुट जाता है' और वे अब तक लगभग 20 हजार से ज्यादा मिट्टी के दीये बना चुका है.
क्या बोले ओमर
ओमर कुमार, जिनका पूरा परिवार दशकों से पॉटरी के कारोबार में है, बोले की जैसे-जैसे दिवाली नजदीक आ रही है, मैंने दिन-रात काम करना शुरू कर दिया है. हमने पिछले साल दिवाली के दीपक बनाना शुरू किया था, और हमें बहुत लोगों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ी थी. इस वर्ष हमने पहले से ही 20,000 दीवाली दीपक बना लिए हैं, और अभी भी आदेश मिल रहे हैं. जम्मू सहित पूरे देश से आर्डर मिल रहे हैं. हमारे पास एक वितरक है जो इसे पूरे भारत में भेजता है. यह वितरक कुलगाम में है. हम हिंदू और मुस्लिमों को अलग नहीं कर सकते. हम सब खुशी-खुशी साथ रहते हैं, और त्योहारों पर अन्य समुदायों से सामान खरीदते हैं.
एकता का संदेश
ओमर कुम्हार का सन्देश बेहद हे साफ़ और सरल है. वे सभी धर्मो को मानते और सबके साथ मिलकर को खुशी से रहते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने अपनी स्थानीय हिन्दू समुदाय में हजारों दिवाली के दीपक मुफ्त में बाँटे हैं.
'मेक इन इंडिया’ के प्रति उत्साह
उमर का कहना है कि स्थानीय खरीदारी से देश में यंग एन्टरप्रेन्योर्स की मदद की जा सकती है. ऑर्डर मिलने के बाद उनका मानना है कि यह 'मेक इन इंडिया' पहल को बढ़ावा है.
कला का संरक्षण
ओमर ने केवल समुदायों के बीच एकता के उदाहरण नहीं प्रस्तुत किया है, बल्कि पॉटरी की कला को बचाने और संरक्षित करने में भी मदद की है.उन्होंने इस कला में नए तकनीकों और डिज़ाइनों का परिचय भी किया है