इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति पर अगस्त के अंत तक चर्चा शुरू कर सकते हैं. मंगलवार को प्रकाशित एक मीडिया खबर में यह जानकारी दी गई है. खबर में कहा गया है कि शरीफ मध्य सितंबर तक मुल्क के अगले सेना प्रमुख के नाम पर फैसला ले सकते हैं. जनरल बाजवा (61) साल 2016 में पाकिस्तान के सेना प्रमुख पद पर नियुक्त हुए थे. वह नवंबर के अंत में सेवानिवृत्त होने वाले हैं.
पाकिस्तान में सेना प्रमुख की नियुक्ति तीन साल के लिए होती है, लेकिन 2019 में एक संक्षिप्त राजनीतिक घटनाक्रम के बीच जनरल बाजवा को तीन साल का सेवा विस्तार दे दिया गया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने अगस्त 2019 में जनरल बाजवा का कार्यकाल बढ़ा दिया था, लेकिन बाद में उच्चतम न्यायालय ने सेना प्रमुख के पद पर उनकी दोबारा नियुक्ति के संबंध में कानून बनाने का निर्देश दिया था.
पाकिस्तान की संसद ने जनवरी 2020 में इस संबंध में कानून पारित किया, जिससे प्रधानमंत्री को अपने विवेक के आधार पर सेवा प्रमुखों के कार्यकाल का विस्तार करने की शक्ति मिल गई. हालांकि, इस कानून में किसी भी सेवा प्रमुख की सेवानिवृत्ति के लिए 64 साल की आयु निर्धारित की गई. इस लिहाज से जनरल बाजवा एक और कार्यकाल के लिए पात्र हैं. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि वह एक बार फिर सेवा विस्तार की मांग कर सकते हैं. हालांकि, मीडिया खबर में सेना के एक सूत्र के हवाले से कहा गया है कि जनरल बाजवा ने अपने आसपास मौजूद लोगों को सूचित कर दिया है कि वह नवंबर में सेवानिवृत्त होंगे. इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस यानी ISI ने भी इस बात की पुष्टि की है कि सेना प्रमुख सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं.
अगस्त के अंत तक चर्चा शुरू की जा सकती है
‘द डॉन’ अखबार के मुताबिक, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के एक वरिष्ठ नेता ने संकेत दिया है कि प्रधानमंत्री शरीफ अगले सेना प्रमुख की नियुक्ति के लिए अगस्त के अंत तक चर्चा शुरू कर सकते हैं. यह नेता संघीय कैबिनेट का हिस्सा है. अखबार के अनुसार, पीएमएल-एन नेता ने यह भी कहा है कि शरीफ मध्य सितंबर तक जनरल बाजवा के उत्तराधिकारी के नाम पर फैसला ले सकते हैं.
पीपीपी इस चर्चा में शामिल नहीं होगी
माना जा रहा है कि सेना प्रमुख के नाम पर अंतिम निर्णय लेने से पहले वह सत्तारूढ़ गठबंधन के सभी सहयोगियों के साथ विचार-विमर्श करेंगे. हालांकि, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के एक सूत्र ने कहा कि पीपीपी इस प्रक्रिया में शामिल नहीं होगी, क्योंकि सेना प्रमुख के नाम पर निर्णय लेना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है. पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद-243(3) के तहत राष्ट्र का राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सिफारिश पर सेना प्रमुख की नियुक्ति करता है.
क्या है प्रक्रिया
परंपरा के अनुसार, जनरल हेडक्वार्टर (जीएचक्यू) चार से पांच सबसे वरिष्ठ लेफ्टिनेंट-जनरल की सूची उनके सेवा रिकॉर्ड के साथ रक्षा मंत्रालय के पास भेजता है. रक्षा मंत्रालय उस अधिकारी के चयन के लिए यह सूची प्रधानमंत्री को सौंपता है, जिसे वह सेना प्रमुख की भूमिका के लिए सबसे उपयुक्त समझते हैं. इसके बाद संबंधित अधिकारियों के सेवा रिकॉर्ड पर या तो प्रधानमंत्री कार्यालय या फिर कैबिनेट में विचार-विमर्श किया जाता है.
खबर में कहा गया है कि अंत में नए सेना प्रमुख की नियुक्ति पर प्रधानमंत्री की निवर्तमान सेना प्रमुख के साथ ‘अनौपचारिक बातचीत’ होती है, जिसमें वह अपनी राय प्रकट करने के साथ ही करीबी सलाहकारों से की गई चर्चा के बारे में बताते हैं. मीडिया खबर के अनुसार, जनरल बाजवा की सेवानिवृत्ति के समय शीर्ष छह लेफ्टिनेंट जनरल में से चार एक ही बैच के होंगे, जबकि पांचवां लगभग इन सभी से वरिष्ठ होगा.
इन अधिकारियों के नाम की चर्चा, सबसे आगे साहिर शमशाद
रिपोर्ट के अनुसार, लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा और लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास उन छह संभावित दावेदारों में सबसे आगे माने जा रहे हैं, जो जनरल बाजवा की जगह पाकिस्तान के अगले सेना प्रमुख बन सकते हैं. लेफ्टिनेंट जनरल मिर्जा एक ही बैच से जुड़े चार दावेदारों में सबसे वरिष्ठ हैं. वह सिंध रेजीमेंट से आते हैं.
भारत के खिलाफ सबसे ज्यादा अनुभवी अब्बास
वहीं, लेफ्टिनेंट जनरल अब्बास भारत से संबंधित मामलों में सबसे अधिक अनुभव रखने वाले अधिकारी हैं. मौजूदा समय में वह चीफ ऑफ जनरल स्टाफ (सीजीएस) के पद पर काबिज हैं, जो जीएचक्यू में संचालन और खुफिया निदेशालय, दोनों की प्रत्यक्ष निगरानी में सेना का प्रभावी ढंग से संचालन कर रहे हैं.
इससे पहले, लेफ्टिनेंट जनरल अब्बास रावलपिंडी स्थित एक्स कोर की कमान संभाल चुके हैं, जो कश्मीर-केंद्रित और राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है. इससे स्पष्ट है कि उन्हें वर्तमान सेना प्रमुख का पूरा भरोसा हासिल है. खबर के अनुसार, एक्स कोर के कमांडर के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल अब्बास के कार्यकाल में ही भारतीय और पाकिस्तानी सेना नियंत्रण रेखा पर 2003 के युद्ध-विराम समझौते का पालन करने पर सहमत हुई थीं. इस सहमति का अनुपालन सुनिश्चित करना लेफ्टिनेंट जनरल अब्बास के जिम्मे था. इसके अनुसार, पाक सेना प्रमुख पद के अन्य दावेदारों में लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर, लेफ्टिनेंट जनरल नौमान महमूद, लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद और लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद आमिर शामिल हैं.
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