स्वप्न विज्ञानः सपने में आपको भी दिखते हैं मृत पूर्वज, जानिए इसका मतलब क्या है?

Dream Science: नींद में आने वाले सपनों का अपना मतलब होता है. ये भविष्य को लेकर संकेत देते हैं और बताते हैं कि जीवन में शुभ होने वाला है या अशुभ. ऐसे में जानिए सपने में बार-बार मृत पूर्वज आने का मतलब क्या है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 2, 2022, 11:54 AM IST
  • सपने में मृत पूर्वज आने का संकेत क्या है
  • सपने में तीसरा नेत्र दिखने का मतलब क्या है
स्वप्न विज्ञानः सपने में आपको भी दिखते हैं मृत पूर्वज, जानिए इसका मतलब क्या है?

नई दिल्लीः Dream Science: नींद में आने वाले सपनों का अपना मतलब होता है. ये भविष्य को लेकर संकेत देते हैं और बताते हैं कि जीवन में शुभ होने वाला है या अशुभ. ऐसे में जानिए सपने में बार-बार मृत पूर्वज आने का मतलब क्या है.

सपने में मृत पूर्वज आने का संकेत क्या है?
कई लोगों के सपने में मृत पूर्वज बार-बार आते हैं. इसके क्या संकेत होते हैं? दरअसल, सपने में मृत पूर्वज को बार-बार देखने का मतलब है कि आप उन्हें भूल चुके हैं. आपसे कोई बड़ी भूल हुई है. वह आपसे सपनों के माध्यम से कुछ कहना चाहते हैं.
अगर आप नहीं समझ पा रहे हैं तो उनका अगला कदम कुछ और हो सकता है. जो आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है. उससे बचने के लिए अमावस्या के दिन नदी किनारे उनके नाम एक दीपक जला दें और किसी गरीब को एक वस्त्र का दान कर दें.

सपने में तीसरा नेत्र दिखने का मतलब क्या है?
आपने कई बार किसी के मुंह से सुना होगा कि रात सपने में तीसरा नेत्र देखा है. इसके क्या संकेत हैं? आपको बता दें कि सपने में शिव का तीसरा नेत्र देखना शुभ नहीं है. आने वाले समय में आपके जीवन उथल पुथल मच सकती है और आपके जीवन बड़ा परिवर्तन होने जा रहा है. भारी नुकसान भी हो सकता है. आने वाली विपरित परिस्थितियों से मुकाबला करने के लिए आपके धैर्य रखने की जरूरत है.

चर्मरोग से छुटकारे का उपाय क्या है?
विशेष मुद्रा में जानिए चर्मरोग से छुटकारे का उपाय. जो लोग चर्मरोग से पीड़ित हैं और उपचार के बाद भी फायदा नहीं हो रहा है तो एक उपाय अपना सकते हैं. दरअसल, शरीर में रक्त विकार के शुद्धिकरण की आवश्यकता होती है. जब तक रक्त में उत्पन्न विकार शरीर से बाहर नहीं निकलेंगे. तब तक चर्म रोग से आप पीड़ित रहेंगे. चर्म रोग का संबंध रक्त से है.

वरुण मुद्रा का करें नियमित अभ्यास
आप वरुण मुद्रा का नियमित अभ्यास कीजिए. प्रतिदिन सुबह शाम 15 मिनट आप वरुण मुद्रा का अभ्यास करें. कुछ दिनों के बाद इसका चमत्कारी प्रभाव आपके शरीर पर दिखेगा. रक्त विकार की शुद्धि के लिए यह प्रभावी मुद्रा मानी जाती है.

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