नई दिल्लीः संसद की एक प्रमुख वित्तीय समिति ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को कम पारिश्रमिक देने के लिए सरकार की खिंचाई की है और कहा है कि उनके वेतन को उनके काम के अनुरूप संशोधित किया जाए. लोक लेखा समिति (पीएसी), लोकसभा की एक प्रमुख वित्तीय समिति ने सरकार को आंगनवाड़ियों में पीने के पानी और शौचालय जैसी सुविधाएं समयबद्ध तरीके से प्रदान करने का भी निर्देश दिया है.
समिति ने रिपोर्ट में वेतन में उचित वृद्धि की बात की
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बुधवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के पारिश्रमिक में संशोधन करने और उसमें उचित वृद्धि करने को कहा है.
बड़ी संख्या में खाली हैं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के पद
इसने इस तथ्य पर निराशा जताई कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के वेतन के कम और अनाकर्षक होने के बारे में पहले याद दिलाने के बावजूद मंत्रालय ने इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं किया. समिति ने कहा कि कम वेतन दिए जाने के कारण आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के पदों पर बड़ी संख्या में रिक्तियां हैं.
'आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका नजरअंदाज नहीं की जा सकती'
पैनल ने कहा, 'इन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की ओर से कोविड की अवधि के दौरान निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और टीकाकरण, पूरक पोषण, परिवार नियोजन उपायों के बारे में परिवारों को शिक्षित करने आदि से संबंधित अपनी मुख्य जिम्मेदारियों को निभाने के साथ-साथ राशन वितरण का काम सौंपा गया था. इसलिए समिति को लगता है कि अब समय आ गया है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को उनके द्वारा प्रदान की जा रही निस्वार्थ और निरंतर सेवाओं के लिए उचित मान्यता मिले.'
वेतन को संशोधित करने को कहा
इस संदर्भ में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी की अध्यक्षता वाले पैनल ने सरकार से उनके वेतन को इस तरह से संशोधित करने के लिए कहा है कि उन्हें दिए जाने वाले लाभ और वेतन उनके द्वारा किए जा रहे काम के अनुरूप हों और इसके लिए मंत्रालय को आवश्यक बजटीय सहायता भी लेनी चाहिए.
'आंगनवाड़ी केंद्रों में हो शौचालय की व्यवस्था'
पैनल ने आगे कहा कि चूंकि कई आंगनवाड़ी केंद्र अस्थायी संरचनाओं और अर्ध-पक्के परिसर से काम कर रहे हैं, जिनमें शौचालय या पीने के पानी की सुविधा नहीं हो सकती है, मंत्रालय को उन राज्यों में मोबाइल शौचालय उपलब्ध कराने के प्रस्ताव पर विचार करना चाहिए, जिन आंगनवाड़ी केंद्रों में शौचालय नहीं हैं.
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