नई दिल्ली: Donald Trump Foreign Policy: ट्रंप 2.0 ने कई देशों और उनके प्रमुखों को चौंका दिया है. ट्रंप राज का दूसरा कार्यकाल पहले से बिलकुल विपरीत नजर आ रहा है. पिछले शासनकाल में जो देश और राष्ट्र प्रमुख उनके धुर विरोधी हुआ करते थे, ट्रंप ने उनसे आते ही करीबियां बढ़ानी शुरू कर दी हैं. जबकि जिन देशों के साथ ट्रंप के रिश्ते पहले अच्छे हुआ करते थे, ट्रंप उन पर इस बार सख्त नजर आ रहे हैं.
ट्रंप का भारत से सौतेला व्यवहार?
ट्रंप के हाल के एक्शन बताते हैं कि उनके मन में भारत के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर नहीं है. टैरिफ वाले मामले में ट्रंप ने हाल ही में कहा- 'हम बाहर के देशों और उनके लोगों पर टैरिफ लगाने जा रहे हैं. ये हमें नुकसान पहुंचाना चाह रहे हैं, लेकिन अपने देश को अच्छा बनाना चाहते हैं. इस लिस्ट में भारत, ब्राजील और अन्य देश शामिल हैं. मगर अब हम ऐसा नहीं होने देंगे, हम अमेरिका को सबसे आगे रखने जा रहे हैं.' इससे पहले ट्रंप ने अपने शपथग्रहण समारोह में पीएम मोदी को आमंत्रित नहीं किया, भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर समारोह में शामिल हुए. यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बनी में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर क्रिस्टोफर क्लैरी ने अल-जजीरा को बताया- 'ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में भारत के लिए दो मुश्किलें पैदा कर सकती है. ट्रंप और उनकी टीम भारत पर अधिक आक्रामक होगी, विशेषकर ट्रेड और निवेश के मुद्दे पर.' बची-खुची कसर तब पूरी हो गई, जब खालिस्तानी समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ समारोह में नजर आया.
चीन जाना चाहते हैं ट्रंप
जबकि दूसरी ओर, ट्रंप ने दुश्मन देश चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को समारोह का न्योता भेजा. हालांकि, चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग इस समारोह में शिरकत करने नहीं आए. अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सलाहकारों से कहा कि वह शपथ लेने के बाद चीन जाने के इच्छुक हैं. अखबार में दावा किया गया है कि ट्रंप ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मधुर रिश्ते स्थापित करना चाहते हैं. वे अपने दूसरे कार्यकाल के 100 दिन के भीतर चीन जा सकते हैं. ट्रंप ने एक इंटरव्यू में कहा- मुझे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बहुत पसंद हैं, मैं हमेशा से उन्हें पसंद करता रहा हूं. हमारे बीच हमेशा बहुत मधुर संबंध रहे हैं.
ट्रंप रूस से बढ़ा रहे दोस्ती का हाथ
डोनाल्ड ट्रंप अपन दूसरे कार्यकाल में रूस पर भी नरम तेवर दिखा रहे हैं. अमेरिका शुरुआत से ही यूक्रेन के साथ खड़ा नजर आया है. बाइडेन प्रशासन ने यूक्रेन को युद्ध के दौरान आर्थिक और मिलिट्री सहयोग दिया था. लेकिन ट्रंप के आने से यूक्रेन की दिक्कतें बढ़ गई हैं. हाल ही में ट्रंप ने सिविल मदद पर 90 दिन की रोक का ऐलान किया है. इसका सीधा असर यूक्रेन पर भी पड़ेगा. ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से जल्द मुलाकात की बात कही है. वे रूस के साथ अमेरिका के संबंध गहरे करना चाहते हैं. इससे अमेरिका का पुराना दोस्त यूक्रेन जरूर खफा होगा.
किम जोंग को बताया स्मार्ट आदमी
किम जोंग पहले कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप के कट्टर दुश्मन हुआ करते थे. लेकिन हाल के एक इंटरव्यू में ट्रंप ने किम को समझदार व्यक्ति बताया. उन्होंने कहा कि किम एक स्मार्ट आदमी हैं. मैनें किम के साथ अच्छे संबंध स्थापित किए हैं. किम धार्मिक कट्टरपंथी नहीं हैं. ट्रंप ने इसी इंटरव्यू में उत्तर कोरिया की यात्रा करने की बात पर सहमति भी जताई.
ट्रंप ने बदली विदेश नीति
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में मजबूत देशों से संबंध बढ़ाना चाहते हैं. रूस, चीन और उत्तर कोरिया दुनिया के ताकतवर देशों में शामिल हैं, ट्रंप इनकी गुड लिस्ट में रहना चाहते हैं. इसलिए वे छोटे हितों को नजरअंदाज करके बड़े हित देख सकते हैं. इस पर पूर्व डिप्लोमैट जयंत प्रसाद ने एक सटीक टिप्पणी की है. उन्होंने अल-जजीरा से कहा- 'ट्रंप की यह प्रवृत्ति है कि दुश्मनों की खुशामद करो और दोस्तों को बेचैन करो.' ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भावुकता से फैसले लिए, दोस्ती निभाई. मगर दूसरे कार्यकाल में ट्रंप एक कूटनीतिक नेता के तौर पर नजर आ रहे हैं, जो सिर्फ 'फायदा-नुकसान' देख रहे हैं.
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