पैरा स्पेशल फोर्सेज में क्या होता है ग्लास ईटिंग रिचुअल, कड़ी ट्रेनिंग के बाद क्यों ये करना पड़ता है

भारत की पैरा स्पेशल फोर्सेज (PARA SF) की ट्रेनिंग के किस्से अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं. ऐसा ही एक किस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें खुद को सेना से रिटायर कर्नल बताने वाले शिवेंद्र प्रताप सिंह एक पॉडकास्ट में पैरा एसएफ की एक अनोखी परंपरा के बारे में बता रहे हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 28, 2025, 06:27 PM IST
  • क्या होता है 'ग्लास ईटिंग रिचुअल'
  • गिलास के सिलिका के होने का दावा
पैरा स्पेशल फोर्सेज में क्या होता है ग्लास ईटिंग रिचुअल, कड़ी ट्रेनिंग के बाद क्यों ये करना पड़ता है

नई दिल्लीः भारत की पैरा स्पेशल फोर्सेज (PARA SF) की ट्रेनिंग के किस्से अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं. ऐसा ही एक किस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें खुद को सेना से रिटायर कर्नल बताने वाले शिवेंद्र प्रताप सिंह एक पॉडकास्ट में पैरा एसएफ की एक अनोखी परंपरा के बारे में बता रहे हैं. वह बताते हैं कि गिलास अजेयता को दिखाने के लिए खाते हैं. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने एक बार ये रिचुअल किया है.

Defenceexp की रिपोर्ट की मानें तो पैरा स्पेशल फोर्सेज ने साल 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और ऑपरेशन जिंजर जैसे खतरनाक मिशन को अंजाम दिया था. इन जवानों की ट्रेनिंग दुनिया की सबसे कठिन मानी जाती है, जहां केवल 2 फीसदी सैनिक इसे पास कर पाते हैं.

क्या होता है 'ग्लास ईटिंग रिचुअल'

पैरा एसएफ में एक अनोखी परंपरा का पालन किया जाता है जिसे 'ग्लास ईटिंग रिचुअल' कहा जाता है. जब कोई जवान अपनी 90 दिनों की कठिन ट्रेनिंग पूरी करता है तो उसे 'पटियाला पेग' (एक बड़ी शराब की माप) दिया जाता है. आम तौर पर पेग खत्म तब माना जाता है जब आखिरी बूंद गले से नीचे उतर जाए. लेकिन पैरा एसएफ के लिए यह तब खत्म होता है जब जवान ग्लास के रिम को काटकर उसे चबाता है और गले से नीचे उतारता है.

गिलास के सिलिका के होने का दावा

यह दिखाता है कि जवान सामान्य इंसानों की सीमाओं से आगे है. हालांकि मेडिकल चिंताओं को लेकर कई लोग इसे गलत मानते हैं, लेकिन इसमें सावधानी बरती जाती है. ग्लास को चबाकर पाउडर बनाया जाता है और फिर निगला जाता है, ताकि किसी प्रकार का नुकसान न हो. कांच आम तौर पर सिलिका (रेत) का होता है.

इस रिचुअल को लेकर अलग-अलग राय है. कुछ लोग इसे सिर्फ एक मिथक मानते हैं, जबकि डिस्कवरी चैनल ने इस पर एक वीडियो भी बनाया है. पैरा एसएफ के जवानों का मानना है कि यह परंपरा उनकी साहसिकता और दृढ़ता का प्रतीक है.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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