Valentine Special: इश्क की ऐसी दीवानगी, जिसका परचम आज तक लहरा रहा है

एक ऐसी प्रेम कहानी जो हमें इश्क की हर एक छोटी सी खुशी से रूबरू कराती है. इस प्रेम कहानी में पहली नजर का प्यार भी है और जन्म भर का साथ भी. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 4, 2021, 05:59 PM IST
  • यादों को सहेजते दो चेहरे
  • बेइंतहा मोहब्बत के किस्से
Valentine Special: इश्क की ऐसी दीवानगी, जिसका परचम आज तक लहरा रहा है

नई दिल्ली: इस दुनिया में हर दौर में ऐसी बेहतरीन प्रेम कहानियां हमारे सामने आई हैं, जिनकी कसमें हम आज तक खाते हैं, जैसे लैला-मजनू और शिरीन-फरहाद. भारत और पाकिस्तान में भी एक ऐसी प्रेम कहानी इस बात की गवाह बनी, जिसने हमें यह सिखाया कि इश्क की दीवानगी की कोई हद नहीं होती. इस प्रेम से निकले गीत, नज्में और शायरी आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं. जैसे- 'अभी न जाओ छोड़कर, कि दिल अभी भरा नहीं. अभी-अभी तो आए हो, बहार बनके छाए हो. हवा जरा महक तो ले, ये शाम ढल तो ले जरा. अभी तो कुछ कहा नहीं, अभी तो कुछ सुना नहीं'.

ये कहानी है साहिर लुधियानवी और अमृता प्रीतम की. जो एक-दूजे से हमेशा इस तरह जुड़े रहे कि सच में इनका कभी एक-दूसरे से दिल नहीं भरा. साहिर और अमृता की प्रेम कहानी हमें उस प्यार से रूबरू कराती है, जिसमें प्रेम की असीमता है. ऐसा प्रेम जो प्रेमी-युगल होने की सारी शर्तों से ऊपर उठ चुका हो. इश्क की हर वो छोटी खूबसूरती, जो ये बता दे कि इनकी दीवानगी की कोई इंतहा नहीं थी. इस कहानी में साहिर हैं, अमृता हैं और इमरोज भी हैं.

पहली नजर का कमाल
अमृता 1929 में पाकिस्तान में पैदा हुईं. 16 साल की उम्र में उनकी शादी प्रीतम सिंह से हो गई. यह रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं चल सका और दोनों के बीच तलाक हो गया. अमृता पाकिस्तान में मुशायरे में शिरकत किया करती थीं. साल 1944 में  एक मुशायरे में उनकी नजरें पहली बार साहिर से टकराईं. मुशायरे के बाद बारिश हो रही थी. उन पलों को याद करते हुए अमृता लिखती हैं- ‘मुझे नहीं मालूम कि साहिर के लफ्जों की जादूगरी थी या कि उनकी खामोश नजर का कमाल था, लेकिन कुछ तो था जिसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया. आज जब उस रात को मुड़कर देखती हूं तो ऐसा समझ आता है कि तकदीर ने मेरे दिल में इश्क का बीज डाला जिसे बारिश की फुहारों ने बढ़ा दिया’.

यह भी पढ़िए: Valentine Special: प्रपोज में ना करें जल्दबाजी, कहीं हफ्तेभर में ही ना उतर जाए प्यार का खुमार

इश्क की खूबसूरती
कहते हैं कि जब साहिर कभी-कभी अमृता के घर जाया करते थे, तो वे हमेशा आधी सिगरेट पीते और बुझा देते थे. अमृता उन सिगरेट के बडों को संभालकर रखती थीं. जब साहिर चले जाते थे, तो वे उन सिगरेटों को पीती थीं और कहती थीं कि इस सिगरेट को पीकर मुझे ऐसा लगता है कि जैसे साहिर ने मेरे हाथों को छू लिया है. अमृता इससे पहले सिगरेट नहीं पीती थीं, इन आधी सिगरेटों ने ही उन्हें  सिगरेट पीने का आदी बना दिया.

साहिर भी अमृता से इतना इश्क करते थे कि जब अमृता उनके घर चाय पीने आती थीं, तो वे कभी उनके जूठे प्यालों को नहीं धुलते थे. कहते हैं साहिर ने उन प्यालों को कभी नहीं धुला. इतने प्यार के बावजूद साहिर और अमृता अलग हो गए. साहिर ने ताउम्र शादी नहीं की.

यह भी पढ़िए: Valentine Day Special: जानें फरवरी को ही क्यों कहते हैं 'प्यार का महीना'

असीम प्रेम का नाम इमरोज
इस दुनिया में साहिर और अमृता बनना तो आसान है, पर इमरोज बनना लगभग नामुमकिन. इमरोज वो नाम है, जो साहिर और अमृता का नाम साथ लेने पर हमेशा ख्याल में आता है. कहते हैं कि अमृता को इमरोज से नहीं, पर इमरोज को अमृता से इश्क हो गया था. इमरोज ने इश्क की वो इबारत लिखी, जो इस दुनिया में शायद ही किसी ने लिखी हो. कहते हैं जब इमरोज और अमृता साथ रहते थे, तो कई बार अमृता अपनी उंगलियों से इमरोज की पीठ पर साहिर का नाम लिख देती थीं और इमरोज को जरा भी फर्क नहीं पड़ता था. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि मैं जानता हूं कि अमृता साहिर से इश्क करती हैं, पर मैं भी तो अमृता से इश्क करता हूं.

जब इमरोज ने अमृता से अपने प्यार का इजहार करते हुए साथ रहने को कहा था, तो अमृता ने उनसे कहा था कि तुम पूरी दुनिया घूम आओ और उसके बाद भी तुम्हें लगे कि तुम मुझसे प्यार करते हो, तो मैं यहीं तुम्हारा इंतजार करती हुई मिलूंगी. कहते हैं कि इमरोज ने उसी समय कमरे के सात चक्कर लगाए और बोले कि घूम ली दुनिया. मुझे अब भी तुम्हारे साथ ही रहना है. इमरोज इसके बाद कभी अमृता को छोड़कर नहीं गए.

यह भी पढ़िए: Valentine week से पहले 100 प्रतिशत क्षमता के साथ खुल रहे है सिनेमा हॉल, SOP जारी

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

 

ट्रेंडिंग न्यूज़