नई दिल्ली: आज जब हम युवा वर्ग की बात करते हैं तो कुछ एक उदाहरण छोड़ ज्यादातर यूथ का फोकस और ध्यान भटका हुआ नजर आता है. देश के युवा तेजी से गलत चीजों की ओर आकर्षित होते दिख रहे हैं. युवाओं की मानसिकता को देखते हुए हर प्लेटफॉर्म चाहे फिल्म हो, वेबसीरीज हो या कोई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हर जगह भटकाव वाली चीजें ज्यादा देखने को मिलती है. क्या आपको पता है कि इन चीजों की वजह एक केमिकल भी हो सकती है, एक ऐसा केमिकल जिसपर अगर आप कंट्रोल कर पा रहे हैं तो यह आपका एक अच्छा दोस्त बन जाता है और अगर आप पर यह केमिकल हावी हो गया है तो यह आपका सबसे बड़ा दुश्मन साबित हो सकता है. सटीक शब्दों में कहे तो यह अर्श से फर्श तक की कहानी गढ़ सकता है.
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आइए जानते हैं केमिकल के बारे में
यूं तो हमारे ब्रेन में कई प्रकार के केमिकल मौजूद होते हैं लेकिन इनमें से एक ऐसा रसायन है जो हमारे दिमाग पर काबू कर सकता है. इस केमिकल (Chemical) का नाम डोपामीन (Dopamine) है इसे फील गुड केमिकल के नाम से भी जानते हैं. यह हमारे ब्रेन को फंक्शन करने में मदद करता है, लेकिन यह तभी तक आपको अच्छा महसूस कराता है जब तक आप इस पर कंट्रोल करने में सक्षम है.
युवा वर्ग (Natinal Youth Day) की बात करें तो वह तेजी से पॉर्न साइट, अपशब्दों से भरी सीरीज, लड़के-लड़कियों के प्रति रूझान या सेक्स, नशीले पर्दोथों का सेवन और भी चीजें जो आपको अपने मार्ग से भटका रही हो, उसकी तरफ जा रहे हैं लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि ऐसा क्यों हो रहा है. आज अडल्टों की बात छोड़ो महज 6 और 7 क्लास के बच्चे नशे और अश्लील बातें व चैट करते दिख जाते हैं. हर कोई यह कहता दिखता है कि आज के युवा में अश्लीलता भर गई है लेकिन इसकी वजह क्या है यह कोई नहीं सोचता. मगर आज हम इसकी वजह की बात करेंगे. जिस युवा पर देश आधारित है, जिस युवा के सहारे देश का भविष्य तय होता है आज वह अपने भविष्य की ही नहीं सोच रहा.
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इसकी बड़ी वजह है खुद पर नियंत्रण नहीं कर पाना और यह सब डोपामीन केमिकल को कंट्रोल नहीं कर पाने की वजह से हो रहा है. दरअसल आज के युवा जो चीज सुनते हैं या जो चीज अपने आस-पास देखते हैं उसे आसानी से अपनाते जा रहे हैं. और यह सब होता है डोपामीन के चलते, यह केमिकल आपके दिमाग पर उन चीजों को लेकर रूचि और भी बढ़ा देता है जिसके बारे में आप सोचते हो. हम भी उन चीजों को करने लग जाते हैं जिसमें हमें मजा आता है और इनमें कई बुरी आदतें शामिल होती है. इन आदतों को डोपामीन इस तरह से कंट्रोल कर लेता है कि हर समय आपका ब्रेन आपसे उन्हीं चीजों को करने को कहता है.
उदाहरण के तौर पर हम देख सकते हैं कि अगर हम फेसबुक या किसी भी एप का इस्तेमाल 4 घंटे करते हैं तो धीरे-धीरे हम उससे और भी जुड़ते चले जाते हैं. हमने बहुतों को देखा है कि कई लोग सुबह सो कर उठते के साथ ही फोन का यूज करने लग जाते हैं या यूं कहे तो यह लगभग हर आदमी के डेली जीवन का हिस्सा बन चुका है पर क्या यह आदत सही है. नहीं बिलकुल नहीं जब हम सुबह उठते हैं तो हमारा दीमाग पूरी तरह खाली होता है, उस समय का इस्तेमाल हमें ऐसी चीजों में करनी चाहिए जो हमारा मार्गदर्शन करें ना कि सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग वीडियो या कोई भी निराधर चीजों को देखकर समय का दुरुपयोग करना चाहिए.
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इसे कंट्रोल करके पा सकते हैं अपने गोल्स
डोपामीन को कंट्रोल करने के लिए हमें बॉडी के अंदर वह चीजें देनी है जो इसे मेनटेन रखे. जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे दिमाग में न्यूरॉन से न्यूरॉन के बीच सूचना दी जाती है. डोपामीन पर कंट्रोल करने के लिए हमें अच्छी आदतों को जीवन का हिस्सा बनना चाहिए ताकि डोपामीन उन चीजों को करने के लिए हमें बढ़ावा दें. इसके लिए हमें ब्रेन को आराम देना चाहिए, कोशिश करनी चाहिए कि हम सही तरीके से नींद लें. क्योंकि जब दिमाग को रेस्ट मिलता है तो हमारी सोचने और किसी भी चीज को जल्दी समझने में मदद मिलती है. डोपामीन केमिकल हमे लाइफ में आगे ले जाती है तो धक्का देकर पीछे भी ले आती है. इसके साथ ही हमें हर चीज का समय तय करना चाहिए, हम जिस समय जो करते हैं उसी के हिसाब से डोपामीन हमारा रूझान उस चीज की ओर ले जाता है.
आज का यूथ चाहें तो कुछ भी कर सकता है क्योंकि आज प्लेटफॉर्म की कमी नहीं है लेकिन हमारे लिए क्या सही है और क्या गलत इसे तय कर पाना असली परीक्षा है. कुछ को यह चीज समय पर समझ आ जाती है तो वह अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं तो कुछ को इसे समझने में होने वाली देरी से जिंदगी में पीछे रह जाते हैं. 21वीं सदी को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जमाना भी कहा जा सकता है, सभी का जीवन गैजेट्स के ईद-गिर्द घूम रहा है लेकिन इन्हीं गैजेट्स का सदुपयोग और दुरुपयोग जीवन को बनाता-बिगाड़ता है.
युवा के पसंदीदा आइडल मानें जाने वाले स्वामी विवेकानंद 12 जनवरी, 1863 को जन्में थे. इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के रूप में मनाया जाता है. समाज सुधारक स्वामी विवेकानंद को युवाओं से बहुत उम्मीदें थी, इतनी की वह मानते थे कि देश के युवा देश को बदलने का मादा रखती है लेकिन सही मायने में यहीं देश के मुख्य उत्पाद है. इसके लिए विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना भी की थी. लेकिन आज के युवा शायद उन्हें आइडल तो मानती हैं लेकिन उनके दिखाए गए मार्गदर्शन से भटक चुकी है.
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यह कहावत तो आपने रोड पर लगे बोर्ड या बैनर में जरूर देखा होगा कि दुर्घटना से देर भली. भले ही कितनी भी देरी क्यों ना हो जाए पर मंजिल तक पहुंचने के लिए कई जगहों पर लुभावने चीजों या आरामदायक चीजों को छोड़ आगे बढ़ना ही पड़ता है. स्वामी जी ने कहा था उठो और जागो और तब तक रूको नहीं जब तक अपना लक्ष्य प्राप्त न कर लो. इसके साथ ही उन्होंने संघर्ष पर कहा था कि जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी. आज के युवा अगर इन राहों पर चला तो उनका भविष्य तो उज्जवल होगा ही साथ ही देश भी सही हाथों में जाएगा.
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